यूपी का नया IAS भ्रष्टाचार में लिप्त, केस दर्ज.. बड़ा सवाल- नये अफसरों को अमीर बनने की कितनी है जल्दी
यूपी काडर के 2006 बैच के नये नवेले आईएएस जुहेर बिन सगीर जैसे नये अफसरों को पैसा कमाने की काफी तेजी है। नौकरी शुरू हुई नहीं कि लूट-खसोट चालू.. डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़ें आईएएस अफसर का कांड..
आगराः प्रशासनिक अधिकारी भी अब भ्रष्टाचार में लिप्त हो रहे हैं। ताजा मामले में आईएएस जुहेर बिन सगीर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। जुहेर पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने लखनऊ एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण से पहले अपने संबंधी को जमीन की खरीद करवाकर उन्हें लाखों रुपये का फायदा पहुंचाया था। विजिलेंस की टीम ने जांच में आरोपों की पुष्टि होने पर उनके खिलाफ फतेहाबाद थाने में केस दर्ज करवाया है। बरेली विजिलेंस ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
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जुहेर के खिलाफ मुरादाबाद निवासी अधिवक्ता दुष्यंतराज ने भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। जुहेर आगार में 10 फरवरी 2013 से 5 फरवरी 2014 तक तैनात थे। इस मामले में जांच कर रहे विजिलेंस बरेली सेक्टर के इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार शर्मा ने पाया बतौर डीएम जुहेर को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के लिये जमीन अधिग्रहण के प्रस्ताव और सर्वे की पूरी जानकारी थी।
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उन्होंने आईएएस पद का लाभ उठाते हुये अपनी मौसेरी बहन खालिदा रहमान को फायदा पहुंचाने के लिये अपने पद का दुरुपयोग किया और फतेहाबाद के गांव तिबाहा में 0.6915 हैक्टयर भूमि और गांव स्वारा में 0.3460 हेक्टयर भूमि को मात्र 8.20 लाख रुपये में खरीदवाई। जब इस जमीन को एक्सप्रेस हाईवे अथॉरिटी ने अधिग्रहीत किया था तो तब 2014 में खालिदा रहमान को 28.65 लाख रुपये थे।
जुहेर बिन सगीर के खिलाफ मुरादाबाद में भी कुछ दिन पहले विजिलेंस ने दो रिपोर्ट दर्ज कराई हैं। यहां पर दो घोटालों हुये है। पहले मामले में विकास प्राधिकरण के कब्जे वाली अर्बन सीलिंग की जमीन फर्जी दस्तावेज के जरिये निजी खाताधारकों को सौंप दी गई। दूसरे मामले में जेल की जमीन में घोटाले की बात सामने आई है।
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अब प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ मामला उजागर होने से यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या आईएएस जैसे प्रतिष्ठित पदों पर देश सेवा कर रहे ए-वन ऑफिसर भी ऐसा कारनामा कर सकते हैं।