दिल्ली में संक्रमण के प्रकोप के लिए एक रोगाणु जिम्मेदार, संक्रमणमुक्त करने वाली चीजों से बेअसर

डीएन ब्यूरो

दिल्ली में एक नवजात गहन देखभाल इकाई में संक्रमण की दो बड़ी घटनाओं के लिए जिम्मेदार रहा खमीर में पाये जाने वाला एक खतरनाक रोगाणु तेजी से पैर पसार रहा है और अस्पताल के कमरों में आमतौर पर इस्तेमाल में संक्रमणमुक्त करने वाले पदार्थों का इस पर असर नहीं पड़ता।

रोगाणु से संक्रमण (फाइल)
रोगाणु से संक्रमण (फाइल)


नई दिल्ली: एक नवजात गहन देखभाल इकाई में संक्रमण की दो बड़ी घटनाओं के लिए जिम्मेदार रहा खमीर में पाये जाने वाला एक खतरनाक रोगाणु तेजी से पैर पसार रहा है और अस्पताल के कमरों में आमतौर पर इस्तेमाल में संक्रमणमुक्त करने वाले पदार्थों का इस पर असर नहीं पड़ता।

इस रोगाणु का नाम ‘लॉडेरोमाइक्स एलनगिस्पोरस’ है जो आमतौर पर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले वयस्क रोगियों को प्रभावित करता है, लेकिन अब इसने नवजातों को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है।

पत्रिका ‘एमबायो’ में प्रकाशित अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि संक्रमित रोगियों का उपचार फंगलरोधी दवाओं से किया जा सकता है, वहीं रोगाणु अस्पतालों के कमरों की सफाई के लिए आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले संक्रमणरोधी ब्लीच से बेअसर रहता है।

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इस तरह के संक्रमण का प्रकोप होना अपेक्षाकृत दुर्लभ है, लेकिन दुनियाभर में नवजात गहन देखभाल इकाइयों में फंगल संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है।

दिल्ली में एक नवजात आईसीयू में 2021 के अंत में और 2022 की शुरुआत में इस तरह के संक्रमण के प्रकोप के मामले सामने आये थे। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि गहन देखभाल इकाइयों में बार-बार अच्छी तरह सफाई के बाद छह महीने के अंदर 10 नवजात संक्रमित हो गये।

उन्होंने कहा कि इनमें से फंगल रोधी उपचार के बाद नौ शिशुओं की जान बच गयी।

दिल्ली विश्वविद्यालय के वीपी चेस्ट इंस्टिट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने नवजातों के नमूने लिये थे। उन्होंने पाया कि रेलिंग और ओपन केयर वॉर्मर का तापमान नियंत्रण करने वाला पैनल लॉडेरोमाइक्स एलनगिस्पोरस की चपेट में था।










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