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भैया दूज और गोवर्धन पूजा पर खजनी में श्रद्धा का सागर उमड़ा, बहनों ने भाईयों की लंबी उम्र की कामना की

गोरखपुर के खजनी तहसील क्षेत्र में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर बुधवार को भैया दूज और गोवर्धन पूजा का पर्व हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया गया। पूरे क्षेत्र में सुबह से ही धार्मिक उत्साह देखने को मिला।
Post Published By: Poonam Rajput
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भैया दूज और गोवर्धन पूजा पर खजनी में श्रद्धा का सागर उमड़ा, बहनों ने भाईयों की लंबी उम्र की कामना की

गोरखपुर: गोरखपुर के खजनी तहसील क्षेत्र में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर बुधवार को भैया दूज और गोवर्धन पूजा का पर्व हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया गया। पूरे क्षेत्र में सुबह से ही धार्मिक उत्साह देखने को मिला। बहनों ने व्रत रखकर अपने भाइयों की लंबी आयु और खुशहाली की कामना की। परंपरागत रीति-रिवाजों के अनुसार भाइयों के माथे पर तिलक किया गया और आरती उतारी गई। इसके बाद भाइयों को खीर, लावा और चावल के आटे से बने पकवान खिलाकर व्रत का पारण किया गया।

गांव-गांव में गोवर्धन पर्वत की पूजा

खजनी क्षेत्र के गांवों में महिलाओं ने गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर भगवान श्रीकृष्ण और भगवान बलराम के अस्त्र मूसल की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर मंगल गीतों की गूंज से माहौल और भी श्रद्धा पूर्ण हो गया। महिलाएं भगवान श्रीकृष्ण से सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना करती नजर आईं। क्षेत्र के मंदिरों में भी भजन-कीर्तन का दौर चलता रहा।

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गोवर्धन पूजा की कथा का वाचन

श्रद्धालुओं ने गोवर्धन पूजा की कथा का वाचन किया जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की एक अद्भुत लीला का वर्णन था। उन्होंने देवराज इन्द्र के अहंकार को चुनौती देते हुए गिरीराज गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठा लिया था और ब्रजवासियों को भीषण वर्षा से बचाया था। इस घटना से यह संदेश मिला कि प्रकृति की पूजा करनी चाहिए, न कि अहंकारी शक्तियों की। इसी परंपरा ने पूरे भारत में गोवर्धन पूजा को महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव बना दिया है।

अन्नकूट का प्रसाद और दीपों की रौनक

पूरे दिन खजनी के मंदिरों और घरों में भक्तिमय भजन-कीर्तन होते रहे। श्रद्धालुओं ने विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर अन्नकूट का प्रसाद तैयार किया और गिरीराज गोवर्धन को अर्पित किया। शाम को दीपों की जगमगाहट से पूरे क्षेत्र का वातावरण दिव्य और आनंदमय हो गया।

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भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक

भैया दूज के अवसर पर बहनों ने भाइयों के माथे पर चंदन और रोली से तिलक कर दीर्घायु, समृद्धि तथा परिवार में प्रेम और सौहार्द की कामना की। गोवर्धन पूजा और भैया दूज का यह पावन संगम खजनी क्षेत्र में पारिवारिक प्रेम, धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपरा का जीवंत उदाहरण बना। इस पर्व ने फिर से यह प्रमाणित किया कि भारतीय संस्कृति में परिवार, आस्था और प्रकृति का अटूट संबंध आज भी उतना ही प्रबल है जितना सदियों पूर्व था।

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