जानें कब और कैसे हुई थी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरूआत..क्या है इतिहास

डीएन ब्यूरो

इंटरनेशनल वुमेन्‍स डे को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट..

इंटरनेशनल वुमेन्‍स डे
इंटरनेशनल वुमेन्‍स डे


नई दिल्ली: इंटरनेशनल वुमेन्‍स डे को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।

यह भी पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पीएम मोदी ने महिलाओं को किया नमन.. दी बधाई

बड़ी ही पुरानी कहावत है कि एक पुरुष की सफलता के पीछे एक स्‍त्री का हाथ होता है। यह बात महिलाओं को कहीं न कहीं कमतर करती है। दरअसल यह बात महिलाओं के त्‍याग को दर्शाती है। जिस त्‍याग से वह जीवन के अपने अनमोल क्षणों को दूसरे के जीवन को संवारने में गुजार देती हैं। जबकि सफलता में उनकी भागीदारी घर की चहारदीवारों तक ही सीमित रह जाती है।

आज के दौर में महिलाएं कदम से कदम मिलाकर चल रही है। लेकिन अभी भी समाज में उन्‍हें पुरुषों की बराबरी का सम्‍मान नहीं मिलता है। यह स्थिति सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि कमोबेश पूरे विश्‍व में है। तकरीबन 250 साल पूरे करने वाले अमेरिकन लोकतंत्र में भी महिलाओं को चुनाव का अधिकार बहुत लंबे समय के बाद मिला।

हालांकि भारत में इससे अलग स्थितयां अलग रही हैं। भारत ने लोकतंत्र को भले ही 1950 में चुना हो लेकिन यहां स्‍त्री को देवी का दर्जा दिया जाता था। साथ ही यहां महिलाओं को दोयम दर्जे का कभी नहीं माना जाता था। भारत में महिलाओं ने आजादी से पहले कई युद्ध भी लडे और अपने दुश्‍मनों के दांत भी खट्टे किए।

यह भी पढ़ें: आज ही के दिन पहली बार महात्मा गांधी और रवीन्द्रनाथ टैगोर मिले थे शांतिनिकेतन में..

कैसे पडी महिला दिवस की नींव

अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत महिलाओं को मत के अधिकार को दिलाने को लेकर अमेरिका में शुरू हुई थी। सबसे पहले अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी के द्वारा 28 फरवरी 1909 को मनाया गया था। इसके बाद इसे फरवरी के आखिरी रविवार को मनाया जाने लगा। 1990 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया था।

कैलेंडर में हेरफेर से तारीख हुई 8 मार्च

बाद में 1917 में रूस की महिलाओं ने, महिला दिवस पर रोटी और कपड़े के लिये हड़ताल पर जाने का फैसला किया। इस हड़ताल के बाद वहां के ज़ार ने सत्ता छोड़ी और अन्तरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने के अधिकार दिया गया। उस समय रूस में जुलियन कैलेंडर चलता था और बाकी दुनिया में ग्रेगेरियन कैलेंडर। इन दोनों की तारीखों में कुछ अन्तर रहता था। जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 1997 की फरवरी का आखिरी रविवार 23 फ़रवरी को था जब की ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन 8 मार्च थी। इसी लिये 8 मार्च महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

यह भी पढ़ें:शिक्षकों के लिए दो सौ अंक के रोस्टर पर अध्यादेश लाएगी सरकार..50 नये केन्द्रीय विद्यालय खोलने का भी निर्णय

2019 का मंत्र

इस बार वुमेन्‍स डे पर महिलाओं के लिए नए मंत्र को सामने रखा गया है। यह मंत्र है समान सोच, स्मार्ट बने और बदलाव के लिए तैयार रहें। इसी मंत्र के साथ ही इस बार इस बार वुमेन्‍स डे मनाया जा रहा है।










संबंधित समाचार