New Delhi: केंद्र व दिल्ली सरकार को एक-दूसरे का सहयोग करने की जरूरत: न्यायालय

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (एनसीटीडी) सरकार के बीच अनोखा संघीय संबंध है तथा उन्हें संघवाद और लोकतंत्र की भावना को आगे बढ़ाने के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करने की जरूरत है।

दिल्ली सरकार (फाइल)
दिल्ली सरकार (फाइल)


नयी दिल्ली, 11 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि केंद्र एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (एनसीटीडी) सरकार के बीच अनोखा संघीय संबंध है तथा उन्हें संघवाद और लोकतंत्र की भावना को आगे बढ़ाने के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करने की जरूरत है।

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि एनसीटीडी को संघ की इकाई में इसलिए शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि यह 'राज्य' नहीं है। पीठ ने कहा कि लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांत आपस में जुड़े हुए हैं तथा वे सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा को सुरक्षित रखने तथा उनके बीच बंधुत्व को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करें।

पीठ ने कहा कि लोगों की पसंद की सरकार उनके कल्याण के लिए फैसला करने की उस सरकार की क्षमता से जुड़ी हुई है। इसके साथ ही पीठ ने कहा, ‘‘सहकारी संघवाद की भावना के तहत, केंद्र (भारतीय संघ) को संविधान द्वारा तय की गई सीमाओं के अंदर अपनी शक्तियों का प्रयोग करना चाहिए। एनसीटीडी को एक विशिष्ट संघीय मॉडल होने के कारण, संविधान द्वारा इसके लिए निर्धारित क्षेत्र में काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए।’’

पीठ ने अपने फैसले में कहा कि उपराज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी के विधायी दायरे के अंदर के मामलों में दिल्ली की मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बाध्य हैं और उपराज्यपाल की शक्तियों के संबंध में 'प्रशासन' शब्द को दिल्ली के समूचे प्रशासन के तौर पर नहीं समझा जा सकता है।

उपराज्यपाल की शक्तियों की सीमा को परिभाषित करते हुए पीठ ने कहा कि वह सिर्फ दो तरह के मामलों में अपने विवेक से कार्य कर सकते हैं। उसने कहा कि पहला मामला उन मुद्दों से संबंधित है जो विधानसभा की शक्तियों से परे हैं और जहां राष्ट्रपति ने ऐसे मामले में उपराज्यपाल को शक्तियां और कार्य सौंपे हैं। दूसरे मामले जहां कानून के तहत उन्हें अपने विवेकानुसार काम करने की आवश्यकता है।

पीठ ने अपने फैसले में नौकरशाह का भी जिक्र किया और कहा कि उन्हें 'राजनीतिक रूप से तटस्थ' और निर्वाचित सरकार के दिन-प्रतिदिन के फैसलों को लागू करने के लिए मंत्रियों के प्रशासनिक नियंत्रण में होना आवश्यक है।

पीठ ने कहा कि सरकार की नीतियों को लोगों, संसद, मंत्रिमंडल या मंत्रियों द्वारा नहीं, बल्कि प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों द्वारा लागू किया जाता है और वे त्रिस्तरीय जवाबदेही का अहम हिस्सा हैं।

उसने कहा कि अधिकारी मंत्रियों के प्रति जवाबदेह होते हैं और मंत्री संसद या विधानसभाओं के प्रति जवाबदेह होते हैं और ये सदन मतदाताओं के प्रति जवाबदेह होते हैं।

शीर्ष न्यायालय ने केंद्र तथा दिल्ली सरकार के बीच सेवाओं पर प्रशासनिक नियंत्रण के विवादित मुद्दे पर अपने फैसले में कहा कि लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि जैसे विषयों को छोड़कर अन्य सेवाओं पर दिल्ली सरकार के पास विधायी तथा प्रशासकीय नियंत्रण है।

भाषा अविनाश प्रशांत

प्रशांत










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