कल तक जो था आतंकवाद का गढ़, बन गया है ‘लाल सोने’ का गढ़: भाजपा

डीएन ब्यूरो

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के बाद जम्मू कश्मीर में ऐसी बयार बह चली है कि ‘आतंकवाद’ का गढ़ कहे जाने वाले इलाके अब ‘लाल सोने’ के गढ़ में तब्दील हो गये हैं। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

आतंकवाद का गढ़, बन गया है ‘लाल सोने’ का गढ़
आतंकवाद का गढ़, बन गया है ‘लाल सोने’ का गढ़


नयी दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के बाद जम्मू कश्मीर में ऐसी बयार बह चली है कि ‘आतंकवाद’ का गढ़ कहे जाने वाले इलाके अब ‘लाल सोने’ के गढ़ में तब्दील हो गये हैं।

भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल ने लोकसभा में जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर मंगलवार को अधूरी रही संयुक्त चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में विकास की बयार बह चली है और आतंकवाद का गढ़ कहे जाने वाले पुलवामा और किश्तवाड़ जैसे इलाके अब ‘लाल सोने’ (केसर) के गढ़ में तब्दील हो चुके हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘पुलवामा को आतंकवाद का गढ़ कहा जाता था, लेकिन आज यह केसर का गढ़ बन गया है। किश्तवाड़ में केसर को जीआई टैग दिया गया है। केसर को ‘लाल सोना’ कहा जाता है।’’

पाल ने कहा कि आतंकवाद की मार से त्रस्त इन इलाकों में किसान अब बेधड़क केसर का उत्पादन कर रहे हैं, जिसकी कीमत करीब तीन लाख 25 हजार रुपये प्रति किलो है।

पाल ने कहा कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान निरस्त होने के बाद जम्मू कश्मीर का विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि जिस राज्य में जुलूस प्रदर्शन को लेकर शटर बंट हो जाते थे, महीनों दुकानें बंद रहती थी, वहां अब रात 10 बजे तक बाजार गुलजार रहते हैं। उन्होंने कहा कि इस केंद्रशासित प्रदेश में बिजली की खपत और आपूर्ति बढ़ी है।

उन्होंने दो दशक से अधिक समय बाद इस साल मुहर्रम के जुलूस निकाले जाने का जिक्र करते हुए कहा कि पहले लोग घरों में बंद रहते थे, जुलूस नहीं निकाल सकते थे, अपने धार्मिक रीति-रिवाजों को उन्हें भूल जाना पड़ा था, लेकिन अब यह बंदिश समाप्त हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि इस बार मुहर्रम का जुलूस निकाला गया और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुला उपराज्यपाल के साथ शामिल भी हुए और उन्होंने केंद्रशासित प्रशासन की इस पहल को सराहा भी।

भाजपा सदस्य ने कहा कि अब कश्मीर में वंशवाद की राजनीति नहीं चलेगी, बल्कि वहां की जनता अपने भाग्य का फैसला खुद करेगी।

भाजपा के ही सांसद निशिकांत दुबे ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी की ‘एक निशान, एक प्रधान और एक विधान’ की अवधारणा को ‘राजनीतिक रंग’ देने को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस अवधारणा को अन्य दलों के नेताओं ने नहीं अपनाया, लेकिन भाजपा ने उस दिशा में प्रयास जारी रखा और अंतत: पांच अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इसमें बड़ी सफलता हासिल की।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने जम्मू कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा लहराने को लेकर पूर्ववर्ती (कांग्रेस) सरकार की बंदिशों का भी जिक्र किया और कहा कि मुखर्जी की 1952 की अवधारणा को 2019 में मूर्त रूप दिया गया।

उन्होंने जम्मू कश्मीर को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर ‘गलतियां’ करने का आरोप भी लगाया।

दुबे ने कहा कि कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में ले जाने वाले कोई और नहीं बल्कि पंडित नेहरू थे।










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