Uttarakhand Glacier Burst: चिपको आंदोलन की जननी गौरा देवी के गांव रैणी वालों ने जताई थी तबाही की आशंका, ऋषि गंगा प्रोजेक्ट का किया था विरोध

सुभाष रतूड़ी

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने से प्रभावित हुआ रैणी गांव विश्व प्रसिद्ध चिपको आंदोलन की जननी गौरा देवी की भी जन्म भूमि है। यहां के लोग ऋषि गंगा प्रोजेक्ट को तबाही का प्रोजेक्ट मानकर इसका विरोध करते रहे। पढिये पूरी रिपोर्ट

तपोवन टनल में ज्वाइंट रेसक्यू ऑपरेशन जारी
तपोवन टनल में ज्वाइंट रेसक्यू ऑपरेशन जारी


नई दिल्ली: उत्तराखंड के चमोली जिले में नंदादेवी ग्लेशियर टूटने से ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट बुरी तरह तबाह हो चुका है। सरकार द्वारा जारी किये गये 203 लापता लोगों के आंकड़े में अधिकतर लोग ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट से जुड़े हैं। अलकनंदा की सहायक नदियों में शामिल ऋषिगंगा पर बने इस प्रोजेक्ट को यहां के लोग ‘तबाही की परियोजना’ मानते आये है और बड़ी तबाही की आशंका के चलते ही गांव वाले इस प्रोजेक्ट का विरोध करते रहे हैं। लेकिन तब किसी को पता नहीं था कि यहां के ग्रामीणों की यह आशंका एक दिन सच साबित हो जायेगी और ग्लेशियर के फटने से इस प्रोजेक्ट की गाद में समाकर कई लोग हताहत हो जाएंगे। 

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राहत और बचाव कार्य जारी

दरअसल, ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट जिस रैणी गांव के पास स्थापित है, वह गांव विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन की जननी गौरा देवी की जन्मस्थली भी है। लेकिन गौरा देवी का यही रैणी गांव आज ग्लेशियर टूटने के कारण आपदा की बड़ी मार झेल रहा है। दुनिया में वर्षों पहले पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाने वाली गौरा देवी की प्रेरणा से ही रैणी के ग्रामीणों ने भी पर्यावरणीय कारणों से ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट को लेकर तबाही की बड़ी आशंका जताई थी, उनकी यह आशंका आज एक कड़वे सच के रूप में सबके सामने है।

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रैणी गांव जोशीमठ से करीब 22-23 किलोमीटर की दूरी पर जोशीमठ-मलारी हाईवे पर स्थित है। निजी क्षेत्र की परियोजना ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट भी इसी रैणी गांव के बेहद पास है। इस प्रोजेक्ट पर लगभग पिछले एक दशक से काम हो रहा था।  बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय क्षति और प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर शुरूआत से ही इस प्रोजेक्ट को लेकर सवाल उठाये जाते रहे और निर्माण के दौरान भी इसका खूब विरोध हुआ। रैणी के ग्रामीणों के अलावा भी पहाड़ के कई अन्य जागरूक लोगों ने इस परियोजना का विरोध किया था। 

मौके पर राहत एवं बचाव कार्यों की मॉनिटरिंग करते डीजीपी अशोक कुमार

नदियों को बंधाने, ग्लेशियरों के मुहानों पर बांध बनाने और प्रकृति से छेड़छाड़ कर तबाही को आमंत्रण देने वाली ऐसी योजनाओं का पहाड़ों में लंबे समय से विरोध होता रहा है। पर्यावरण के लिए काम करने वाले रैणी के लोगों ने इस ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट को बेहद खतरनाक बताया और इसका उग्र विरोध भी किया और इसको रोकने के लिये लिये कोर्ट की शरण में गये। दो साल पहले ही रैणी गांव के जागरूक लोगों ने उत्तराखंड हाई कोर्ट को बताया था कि यह (ऋषि गांगा पावर प्रोजेक्ट) परियोजना उनके क्षेत्र में बड़ी तबाही का कारण हो सकती है।

रेसक्यू ऑपरेशन के लिये हैलीकॉप्टर्स की मदद

वर्ष 2019 में रैणी गांव के लोगों ने इस परियोजना के खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका पर हाई कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर किया और इस विद्युत परियोजना को जांचने के साथ ही इससे संबंधित कई जानाकरियां मांगी। हाई कोर्ट ने जिलाधिकारी चमोली और सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उत्तराखंड शासन को एक संयुक्त टीम गठित करने और जनहित याचिका में परियोजना को लेकर उठाये गये सवालों व शिकायतों की जांच का करने को निर्देशित किया। 

तबाही में टूटे पांच छोटे-बड़े पुल, ग्रामीणों की मदद में जूटी आईटीबीपी की टीम

रैणी गांव के ग्रामीणों की ओर से कुंदन सिह द्वारा दायर की गई इस पीआईएल पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने परियोजना के लिये होने वाली स्टोन क्रैशिंग, ब्लास्टिंग जैसी गतिविधियों से स्थानीय जनजीवन और पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को जांचने के भी निर्देश दिये। इसके साथ ही कोर्ट ने अपने अगले आदेश तक ब्लास्टिंग (विस्फोट) पर तत्काल रोक लगा दी। यह मामला अब भी अदालत में विचाराधीन है और कोर्ट का कोई अंतिम फैसला आने से पहले ही बड़ी तबाही मच गई।

रेसक्यू के लिये देहरादून से जोशीमठ को तैयार एयर फोर्स के Mi-17 और Chinook हॉलीकॉप्टर 

 उल्लेखनीय है कि रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर के टूटने से अलकनंदा की सहायक नदियों धौलीगंगा और ऋषिगंगा में बाढ का तांडव सामने आया। धौली गंगा के किनारे बने एनटीपीसी प्रोजेक्ट और ऋषि गंगा पर बने ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट बुरी तरह तबाह हो गया है।

इस तबाही के बाद से अब तक कुल 15 व्यक्तियों को रेस्क्यू किया गया है। 16 शव अलग-अलग स्थानों से बरामद किये गये हैं। वहीं टनल में अभी भी कम से कम 40 से 50 लोग फंसे हुए हैं। लापता लोगों की संख्या 203 के आसापास बताई जा रही। इनमें यूपी-बिहार के अलावा स्थानीय गांवों के कई लोग भी शामिल हैं।  










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