उत्तर प्रदेश: नए नियमों से मांस कारोबारी परेशान
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की योगी सरकार के आने के बाद से अवैध बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई जारी है। इस बीच योगी सरकार ने मांस कारोबारियों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। सरकारी गाइडलाइन मिलने के बाद से मांस कारोबारी काफी परेशान हो गए हैं। कारोबारियों के मुताबिक, यह गाइडलाइन इतनी जटिल है कि इसका पालन करना आसान नहीं होगा।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की योगी सरकार के आने के बाद से अवैध बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई जारी है। इस बीच योगी सरकार ने मांस कारोबारियों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। सरकारी गाइडलाइन मिलने के बाद से मांस कारोबारी काफी परेशान हो गए हैं।
कारोबारियों के मुताबिक, यह गाइडलाइन इतनी जटिल है कि इसका पालन करना आसान नहीं होगा। जबकि अधिकारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में मीट बेचने से जुड़े नियम-कायदे में कोई नया बदलाव नहीं किया गया है।
ताजा गाइडलाइन में कई तरह की कागजी कार्रवाई के अलावा कारोबार में भी कई नियमों का पालन करना पड़ेगा। मसलन, मांस कारोबारियों को इंसुलेटेड फ्रीजर वैन में ढोना, मीट कारोबार से जुड़े सभी लोगों का अनिवार्य हेल्थ सर्टिफिकेट सहित कई ऐसे मानक हैं, जिनकी जानकारी हाल ही में उप्र सरकार ने मांस दुकानदारों को भेजी है।
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इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल और सर्वोच्च न्यायालय की तरफ से जारी आदेशों का सख्ती से पालन हो रहा है। अभी तक यह कारोबार बिना नियम-कायदों के चल रहा था। हम तो बस पहले से बने कानूनों का पालन करवा रहे हैं।"
लेकिन, सरकार की इस गाइडलाइन की मीट विक्रेता जमकर आलोचना कर रहे हैं। सर्वदलीय मुस्लिम संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमीलउद्दीन कुरैशी ने कहा कि इन नियमों की वजह से करीब 60 फीसदी दुकानें बंद हो जाएंगी। उन्होंने मांग की है कि इन गाइडलाइन से संबंधित मुद्दों की इजाजत लेने के लिए सिंगल विंडो बनाई जाए।
कुरैशी ने कहा, "सरकार की कार्रवाई की वजह से दुकानदारों को वैसे ही बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है। हम मांग करते हैं कि सरकार नई गाइडलाइन के साथ नए लाइसेंस भी जारी करना शुरू करे।"
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नई गाईडलाइन के प्रावधान कुछ इस तरह हैं :
- मीट दुकानदारों से कहा गया है कि वे धार्मिक स्थलों की परिधि से 50 मीटर की दूरी पर रहें। दुकानदारों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनकी दुकानें ऐसे स्थलों के मुख्य द्वार से कम से कम 100 मीटर दूर हों।
- मांस की दुकानें सब्जी की दुकानों के पास नहीं होनी चाहिए।
- दुकानदार जानवरों या पक्षियों को दुकान के अंदर नहीं काट सकते।
- मांस की दुकानों पर काम करने वाले सभी लोगों को सरकारी डॉक्टर से हेल्थ सर्टिफिकेट लेना होगा।
- मांस की गुणवत्ता को किसी पशु डॉक्टर से प्रमाणित कराना होगा।
- शहरी इलाकों में लाइसेंस पाने के लिए आवेदकों को पहले सर्किल ऑफिसर और नगर निगम की इजाजत लेनी होगी। फिर फूड सेफ्टी एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा।
- ग्रामीण इलाकों में मीट दुकानदारों को ग्राम पंचायत, सर्किल अफसर और एफएसडीए से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा।
- मांस के दुकानदार बीमार या गर्भवती जानवरों को नहीं काटेंगे।
- दुकानदारों को हर छह महीने पर अपनी दुकान की सफेदी करानी होगी।
- उनके चाकू और दूसरे धारदार हथियार स्टील के बने होने चाहिए। मीट की दुकानों में कूड़े के निपटारे के लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
- बूचड़खानों से खरीदे जाने वाले मीट का पूरा हिसाब-किताब भी रखना होगा।
- मांस को इंसुलेटेड फ्रीजर वाली गाड़ियों में ही बूचड़खानों से ढोया जाए। सभी मीट की दुकानों पर गीजर होना भी आवश्यक है। दुकानों के बाहर पर्दे या गहरे रंग के शीशे की भी व्यवस्था हो ताकि जनता को नजर न आए। एफएसडीए के किसी मानक का उल्लंघन होते ही लाइसेंस तुरंत रद्द कर दिया जाएगा। (आईएएनएस)