यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों से कलाकारों को ‘कला गुरू’ के रूप में शामिल करने के दिशानिर्देश लागू करने को कहा

डीएन ब्यूरो

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उच्च शिक्षण संस्थानों से कहा है कि वे अपने संस्थान के भीतर कलाकारों/शिल्पकारों को ‘‘कला गुरू’’ के रूप में पैनल में शामिल करने के आयोग के दिशानिर्देशों को अक्षरश: लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाएं ताकि छात्रों को रचनात्मकता एवं नये विचारों के साथ व्यवहारिक अनुभव प्राप्त हो सके। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

(फाइल फोटो )
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नयी दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उच्च शिक्षण संस्थानों से कहा है कि वे अपने संस्थान के भीतर कलाकारों/शिल्पकारों को ‘‘कला गुरू’’ के रूप में पैनल में शामिल करने के आयोग के दिशानिर्देशों को अक्षरश: लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाएं ताकि छात्रों को रचनात्मकता एवं नये विचारों के साथ व्यवहारिक अनुभव प्राप्त हो सके।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार यूजीसी के सचिव प्रो.मनीष जोशी ने आठ मई को सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, सभी कालेजों के प्राचार्यो, उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों और सभी राज्यों के उच्च शिक्षा सचिवों को लिखे पत्र में कहा कि कला स्वरूप, मानव सभ्यता का अभिन्न हिस्सा हैं तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उच्च शिक्षा और कला के बीच अंतर को पाटने की संकल्पना की गई है।

इसके अनुरूप आयोग ने उच्च शिक्षण संस्थानों में स्थानीय कलाकारों/शिल्पकारों को उच्च शिक्षण संस्थानों के भीतर पैनल में शामिल करने का दिशा निर्देश तैयार किया है।

जोशी ने अपने पत्र में कहा, ‘‘ उच्च शिक्षण संस्थानों से आग्रह किया जाता है कि वे इस दिशानिर्देश को अक्षरश: लागू करने के लिए जरूरी कदम उठायें।’’

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उच्च शिक्षण संस्थानों के भीतर कलाकारों/शिल्पकारों को पैनल में शामिल करने के दिशानिर्देशों के अनुसार, इस तरह के संयोजन से दो स्तरों पर फायदा पहुंचाने की परिकल्पना की गई है जिसमें विभिन्न कला एवं शिल्प में छात्रों की रचनात्मक प्रतिभा के विकास के साथ प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करना तथा कार्यक्रम के अनुरूप उनकी योग्यता को बेहतर एवं अनुभव को समृद्ध बनाना है।

दस्तावेज में कहा गया है कि इससे पेशेवरों को नयी ऊर्जा मिलेगी, साथ ही समाज को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष लाभ भी होगा। इसके माध्यम से न केवल छात्रों को अधिकतम फायदा होगा बल्कि विभिन्न कला स्वरूपों को नया आयाम भी मिलेगा।

इस दिशानिर्देश में उल्लिखित कला स्वरूपों में शास्त्रीय एवं अर्द्ध शास्त्रीय संगीत, हस्तकला, नृत्य के विभिन्न स्वरूप, लोक नृत्य, लोक नाटक, योग, पेशेवर कला आदि शामिल हैं।

वर्तमान दिशानिर्देशों का मकसद उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षक एवं गाइड के रूप में ‘कला गुरू’ को शामिल करना है ताकि अकादमिक संस्थानों में रचनात्मक बुद्धिमत्ता और कला स्वरूपों को प्रोत्साहित किया जा सके।

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इस कदम का मकसद नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप उच्च शिक्षा प्रणाली के विस्तार की जरूरतों को पूरा करना है।

 










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