दिल्ली में कर्ज न चुकाने पर स्कूल को सील किए जाने का मामला उच्च न्यायालय पहुंचा

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय में सोमवार को एक जनहित याचिका दायर की गई जिसमें सार्वजनिक भूमि पर स्थित और कर्ज के बदले गिरवी रखे स्कूलों में नामांकित छात्रों के हितों की सुरक्षा की मांग की गई जिन्हें ऋण का भुगतान न करने पर बैंकों द्वारा नीलाम किया जा सकता है।

दिल्ली उच्च न्यायालय (फाइल)
दिल्ली उच्च न्यायालय (फाइल)


नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय में सोमवार को एक जनहित याचिका दायर की गई जिसमें सार्वजनिक भूमि पर स्थित और कर्ज के बदले गिरवी रखे स्कूलों में नामांकित छात्रों के हितों की सुरक्षा की मांग की गई जिन्हें ऋण का भुगतान न करने पर बैंकों द्वारा नीलाम किया जा सकता है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादियों की ओर से दलीलें सुनीं तथा याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

पीठ ने कहा, “हम उचित आदेश पारित करेंगे। दलीलें सुनी गईं और आदेश सुरक्षित रखा जाता है।’’

याचिका में अदालत से पूर्वी दिल्ली के कड़कड़डूमा स्थित लक्ष्मी पब्लिक स्कूल में नामांकित 900 से अधिक छात्रों के साथ-साथ ऐसे अन्य संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार की रक्षा करने का आग्रह किया गया है जिनकी जमीन गिरवी रखी है और ऋण का भुगतान न करने पर भविष्य में जिन्हें बैंकों द्वारा नीलाम किया जा सकता है।

एनजीओ ‘जस्टिस फॉर ऑल’ ने याचिका में अधिवक्ताओं-खगेश बी झा और शिखा शर्मा बग्गा के माध्यम से अदालत से यह जांच कराने का निर्देश दिए जाने का भी आग्रह किया कि लक्ष्मी पब्लिक स्कूल की पट्टे की जमीन कैसे गिरवी रखी गयी है।

याचिका में कहा गया कि 17 अप्रैल की एक समाचार रिपोर्ट से बग्गा को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि एक बैंक ने ऋण चूक के चलते स्कूल की इमारत को अपने कब्जे में ले लिया है।

झा ने कहा कि याचिका एक विशेष स्कूल के बारे में नहीं है, बल्कि ऐसे अनेक स्कूलों के बारे में है जो सार्वजनिक भूमि पर बने हैं जहां अधिकारी इमारत के आधार पर ऋण लेते हैं और इसे चुकाने में विफल रहते हैं।

 










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