मुकेश अंबानी की सुरक्षा का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई त्रिपुरा हाई कोर्ट के फैसले पर रोक

डीएन ब्यूरो

मुकेश अंबानी और उनके परिवार को केंद्र सरकार की ओर से दी जा रही सुरक्षा से संबंधित विवरण मांगने के मामले में त्रिपुरा उच्च न्यायालय के फैसले को अगले आदेश तक बुधवार को रोक लगा दी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)


नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के अध्यक्ष मुकेश अंबानी और उनके परिवार को केंद्र सरकार की ओर से दी जा रही सुरक्षा से संबंधित विवरण मांगने के मामले में त्रिपुरा उच्च न्यायालय के फैसले को अगले आदेश तक बुधवार को रोक लगा दी।

न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद रोक संबंधी यह आदेश पारित किया।पीठ ने सोमवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के 'विशेष उल्लेख' पर उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर शीघ्र सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी।

शीर्ष अदालत ने श्री अंबानी की सुरक्षा पर सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका पर त्रिपुरा उच्च न्यायालय की ओर से जारी एक आदेश के खिलाफ शीघ्र सुनवाई करने की गुहार स्वीकार की थी।केंद्र सरकार की सिफारिश पर श्री अंबानी और उनके परिवार को दी जा रही सुरक्षा पर सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका में उनके(अंबानी और उनके परिवार को) खतरे की आशंका से संबंधित विवरण मांगने के त्रिपुरा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्र ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

सॉलिसिटर जनरल ने सोमवार को विशेष उल्लेख के दौरान शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाते हुए तर्क दिया था कि श्री अंबानी को प्रदान की गई सुरक्षा का त्रिपुरा सरकार से कोई लेना-देना नहीं है।

इसलिए जनहित याचिका पर विचार करना वहां के उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।श्री मेहता ने उच्च न्यायालय के उस आदेश की वैधता पर भी सवाल उठाया, जिसमें खतरे की आशंका से संबंधित दस्तावेजों के साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों को 28 जून को पेश होने के लिए कहा गया था।

सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत के समक्ष यह भी कहा था कि केंद्र ने त्रिपुरा उच्च न्यायालय को यह भी बताया गया था कि बम्बई उच्च न्यायालय ने श्री अंबानी को सुरक्षा प्रदान करने पर इसी तरह की एक याचिका को खारिज कर दी थी।त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश दिया था। (वार्ता)










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