Life Style News: क्या इमोशनल मैच्योरिटी रिश्तों की मजबूती की कुंजी है, जानिए कैसे बचें टकराव से

क्या आपको भी अपने पार्टनर को समझने में परेशानी होती है। तो इमोशनल मैच्योरिटी आपके लिए है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 12 April 2025, 8:26 PM IST
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नई दिल्ली: इमोशनल मैच्योरिटी का मतलब है कि भावनाओं को समझना उन्हें संभालना और जिम्मेदारी से उनका जवाब देना। यह एक ऐसा गुण है जो व्यक्ति को रिश्तों में अधिक मजबूत सहनशील और समझदार बनाता है। जब दो लोगों के बीच इमोशनल मैच्योरिटी होती है तब उनका रिश्ता न केवल स्थायी बनता है बल्कि वह खिलता भी है। यह मैच्योरिटी किसी भी तरह के रिश्ते में महत्वपूर्ण होती है चाहे वह माता-पिता जीवनसाथी या मित्र के साथ हो।

सबसे पहले यह सुनने और समझने की क्षमता पर जोर देती है। एक परिपक्व व्यक्ति सामने वाले की बात को ध्यान से सुनता है। और उसे बिना किसी पूर्वाग्रह के समझता है। केवल अपने विचारों को थोपने के बजाय वह दोनों की भावनाओं का सम्मान करता है।

दूसरा पहलू गुस्से या असहमति के समय सम्मान बनाए रखना है। गुस्सा आना एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है लेकिन इसे कैसे नियंत्रित किया जाए यही सच्ची मैच्योरिटी है। अपशब्दों के प्रयोग से बचते हुए अपनों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करना चाहिए।

इमोशनल मैच्योरिटी का एक और महत्वपूर्ण पहलू है ‘मैं’ से ‘हम’ की सोच। इसका मतलब है कि व्यक्ति अपनी जरूरतों के साथ-साथ अपने पार्टनर की भावनाओं और सीमाओं का भी ध्यान रखता है। इस प्रकार की सोच रिश्तों में सामंजस्य और समझ को बढ़ावा देती है।

इसके अतिरिक्त माफी मांगने और माफ करने की क्षमता भी आवश्यक है। जब गलती हो तो अपने अहंकार को छोड़ते हुए ईमानदारी दिखाना महत्वपूर्ण होता है। पुराने मुद्दों को बार-बार उठाने से रिश्तों में हलका-फुलका माहौल बना रहता है।

एक emotionally mature रिश्ते की विशेषताएं भी महत्वपूर्ण हैं। ऐसे रिश्ते में दिखावे की बजाय अपनापन होता है। यहां चुप्पी की बजाय संवाद की महत्वपूर्णता होती है। ‘तुम्हें बदलो’ की सोच के बजाए ‘चलो मिलकर समझते हैं’ की भावना प्रमुख होती है।

यह भी ध्यान देना आवश्यक है कि इमोशनल मैच्योरिटी कोई जन्मजात गुण नहीं है; इसे सीखा जा सकता है। इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने आप को समझे अपनी भावनाओं को महसूस करे और हर रिश्ते में ईमानदारी संवेदना और धैर्य को अपनाए।

इस प्रकार इमोशनल मैच्योरिटी न केवल व्यक्ति के व्यक्तिगत विकास में योगदान करती है। बल्कि रिश्तों की मजबूती के लिए भी एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान करती है। इसके जरिए जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हुए लोगों में संतुलन और खुशी की भावना को बढ़ावा दिया जा सकता है।