LifestyleNews : बच्चियों को कम उम्र में ही क्यों हो रहे हैं पीरियड्स? जानें क्या है इसके पीछे की वजह

डीएन ब्यूरो

लड़कियों में 6 से 9 साल की उम्र में पीरियड्स की शुरुआत सामाजिक, पर्यावरणीय और आहार संबंधी कारणों से बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह चिंता का विषय है।पढ़िए डाइनामाइट न्यूज की रिपोर्ट

कम उम्र में हो रहे मासिक धर्म: जानें इसके पीछे की चिंताजनक वजहें!"
कम उम्र में हो रहे मासिक धर्म: जानें इसके पीछे की चिंताजनक वजहें!"


लाइफस्टाइल : लड़कियों में पीरियड्स की शुरुआत सामान्यतः 10 से 16 साल की उम्र के बीच होती है, और औसतन ये लगभग 12 साल की उम्र में शुरू होते हैं। पीरियड्स का आना एक महत्वपूर्ण संकेत है, जो दर्शाता है कि शरीर में कई हार्मोनल परिवर्तन हो रहे हैं। जब महिला के शरीर में यौवन हार्मोन जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन संचालित होते हैं, तभी वह प्रजनन के लिए तैयार होती है।

क्या है वजह 6 से 9 साल में  मासिक धर्म आने का

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, कई लड़कियों में पीरियड्स की शुरुआत समय से पहले होती दिखाई दे रही है। सामान्यत: पीरियड्स की शुरुआत के लिए जो औसत उम्र मानी जाती थी, वो अब बदलती हुई प्रतीत हो रही है। समय की प्रगति के साथ, अब कई मामलों में लड़कियां 6 से 9 साल की उम्र में भी पीरियड्स का अनुभव करने लगी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि कुछ सामाजिक और पर्यावरणीय कारणों के चलते हो रही है।

यह भी पढ़ें | Naxalite Arrested : पटना में कुख्यात नक्सली रामइकबाल मोची गिरफ्तार, जानिये पूरा अपराधनामा

क्या है प्यूबर्टी

प्यूबर्टी, या यौवन की प्रक्रिया, एक ऐसी अवस्था है जिसमें लड़के और लड़कियों के शरीर में कई दृश्य और आंतरिक परिवर्तन आते हैं। लड़कियों में यह प्रक्रिया आमतौर पर 8 से 13 साल की उम्र के बीच शुरू होती है, जबकि लड़कों के लिए यह उम्र 9 से 14 साल के बीच होती है। वर्तमान समय में, कुछ लड़कियों में जल्दी प्यूबर्टी के मामले में वृद्धि हो रही है, जिससे वे अपनी उम्र से अधिक परिपक्व और विकसित नजर आने लगती हैं।

क्या है कारण

यह भी पढ़ें | Top 10 News of the day: जानिये देश और दुनिया की दिनभर की 10 बड़ी खबरें

विशेषज्ञों का कहना है कि पहले लड़कियों में यौवन की पहले लक्षणों के बाद पीरियड्स शुरू होने में 18 से 36 महीने का समय लगता था। लेकिन अब यह समय घटकर केवल 3 से 4 महीने रह गया है। इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं, जैसे कि औद्योगिक कीटनाशकों का सेवन, मोटापा, तकनीकी उपकरणों का अत्यधिक उपयोग, और जेनेटिक डिसऑर्डर। 

आधुनिक आहार भी एक महत्वपूर्ण कारण बन रहा है। आजकल, बच्चों के खानपान में प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड और शीतल पदार्थों की बहुतायत देखने को मिलती है। इनमें ऐसे रसायन और प्रिजर्वेटिव्स होते हैं जो हार्मोनों में असंतुलन पैदा कर सकते हैं। 

इस प्रकार, बच्चों में जल्दी प्यूबर्टी और पीरियड्स का आरंभ होना गंभीर चिंता का विषय बन गया है। इस संदर्भ में, उचित आहार और सुरक्षित जीवनशैली का पालन करना अत्यंत आवश्यक है ताकि इन समस्याओं से बचा जा सके। माता-पिता और अभिभावकों को बच्चों के आहार और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है, ताकि वे स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकें।










संबंधित समाचार