मशहूर 'रामपुरी चाकू' का उसका गौरव वापस दिलाने की कवायद, शुरु हुई ये खास योजना
बॉलीवुड की 1980 के दशक की फिल्मों से मशहूर हुए 'रामपुरी चाकू' का गौरव वापस दिलाने के मकसद से यहां एक चौराहे का नाम ‘चाकू चौक' रखे जाने के बाद स्थानीय व्यापारियों ने उम्मीद जताई है । पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
रामपुर: बॉलीवुड की 1980 के दशक की फिल्मों से मशहूर हुए 'रामपुरी चाकू' का गौरव वापस दिलाने के मकसद से यहां एक चौराहे का नाम ‘चाकू चौक' रखे जाने के बाद स्थानीय व्यापारियों ने उम्मीद जताई है कि इससे चाकू की मांग को बढ़ावा मिल सकता है। साथ ही व्यापारियों ने सरकार से इसे 'एक जिला, एक उत्पाद' योजना में शामिल करने की मांग की।
राज्य की राजधानी के उत्तर में करीब 322 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामपुर कभी अपनी कई छोटी-छोटी निर्माण इकाइयों के लिए जाना जाता था, जो उच्च गुणवत्ता वाले 'फोल्डेबल' चाकू बनाती थीं।
कठोर स्टील और पीतल के हैंडल से बने ब्लेड वाले चाकू कभी बेहद लोकप्रिय थे। हालांकि चीन से आयातित सस्ते चाकू रामपुरी चाकू और इसके व्यापार से जुड़े लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।
पीढ़ियों से चाकुओं का निर्माण कर रहे स्थानीय निवासी रहमत रज़ा खान ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ''नब्बे के दशक की शुरुआत में यहां रामपुरी चाकू बनाने वाली दो दर्जन से अधिक इकाइयां थीं। इनमें बनने वाले चाकुओं को छोटी छोटी दुकानों में बेचा जाता था। मुख्य बाजारों के अलावा इन दुकानों के पास बाजार भी थे। रेलवे स्टेशन और बस स्टॉप पर आने वाले लोग इन्हें निशानी के रूप में खरीदते थे।'
खान ने कहा कि भले ही चाकू को कई बॉलीवुड फिल्मों में दिखाये जाने के बाद लोकप्रियता मिली थी लेकिन हिंसा के साथ इसका जुड़ाव भी इस उद्योग के पतन का कारण बना।
उन्होंने कहा, 'चाकू को निचले दर्जे के अपराधियों और जेबकतरों से जुड़ा हुआ माना जाने लगा क्योंकि बॉलीवुड ने उन्हें इसी तरह दिखाया, जिसने आम जनता को इससे दूर रखा। यहां तक कि अपनी लोकप्रियता के चरम पर जब इसे देश भर के लोगों ने हाथों-हाथ लिया मगर रामपुरी चाकू विदेश के बाजार में जगह बनाने में विफल रहा।'
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार एक अन्य व्यापारी मोहम्मद शादाब रज़ा ने बताया, 'ब्लेड की लंबाई पर सख्त नियम बनाए जाने के कारण रामपुरी चाकू का निर्यात करना बहुत मुश्किल है। रामपुरी चाकू के ब्लेड की लंबाई अमूमन 30 सेंटीमीटर या उससे अधिक होती है।'
मांग और लोकप्रियता में गिरावट के अलावा चीन से आयात किए जाने वाले सस्ते चाकू की आसानी से उपलब्धता ने भी उद्योग को एक बड़ा झटका दिया है।
शादाब ने कहा, 'चीन से आयातित चाकू ने बाजार पर कब्जा कर लिया है। वे कम गुणवत्ता वाले हैं लेकिन मूल रामपुरी चाकू से आधी कीमत पर मिल जाते हैं इसलिए लोग उन्हें खरीदते हैं। इस वजह से रामपुरी चाकू का बाजार पिछले कुछ समय में बंद होने की कगार पर पहुंच गया है।'
घटती मांग के चलते कई निर्माण इकाइयों को बंद कर दिया गया है और शिल्पकारों को एक अच्छा जीवन यापन करने के लिए अन्य व्यवसायों को अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
रहमत रज़ा ने कहा, 'शहर में अब एक भी बड़ा चाकू निर्माता नहीं है। निर्माण बस छोटे कारखानों तक सीमित रह गया है।'
चाकू के कारोबार की दयनीय स्थिति को देखते हुए, स्थानीय लोगों का कहना है कि रामपुरी चाकू के नाम पर एक चौक की स्थापना करने से कहीं ज्यादा इस उद्योग में नई जान फूंकने के सार्थक प्रयास करने की जरूरत है।
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रजा ने कहा, 'हमने राज्य सरकार से चाकू को ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) योजना में शामिल करने और नए कारीगरों को प्रशिक्षित करने और बड़े बाजार तक पहुंचने में मदद करने का आग्रह किया है।'
मुरादाबाद मंडल के आयुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने पिछले सोमवार को वरिष्ठ अधिकारियों और स्थानीय नेताओं की उपस्थिति में 'चाकू' का उद्घाटन किया। नैनीताल मार्ग से रामपुर आने वाले चौराहे पर विश्व का सबसे बड़ा चाकू स्थापित कर चौराहे को चाकू चौक का नाम दिया गया है।
करीब 20 फुट के इस विशाल चाकू के अनावरण के मौके पर मौजूद रामपुर के विधायक आकाश सक्सेना ने कहा था कि रामपुरी चाकू कभी डर का प्रतीक हुआ करता था, लेकिन आज इसे शिल्प के रूप में पहचाना जा रहा है।
विधायक ने कहा था कि अधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि चाकू बनाने वाले उद्योगों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाए।