चीन समेत तीन पड़ोसियों संग सीमा पर भारी तनाव, भारत की विदेश नीति की असली परीक्षा का वक्त

डीएन ब्यूरो

पूर्वी लद्दाख स्थित सीमा पर भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प से दोनों देशों के रिश्तों में खटास सी आ गयी है। चीन के अलावा पाकिस्तान और नेपाल सीमा पर भी इस दौरान तनाव चल रहा है। ऐसे समय को भारत की विदेश नीति की असली परीक्षा का वक्त समझा जा सकता है। पढिये, डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट..

फाइल फोटो
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नई दिल्ली: भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवान घाटी के पास हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आना स्वाभाविक है। इस खूनी झड़प में 20 से अधिक भारतीय सैनिक शहीद हो गये जबकि चीन के भी 40 से अधिक सैनिकों के हताहत होने की बात सामने आयी है। यह झड़प ऐसे समय में हुई है, जब चीन के अलावा पाकिस्तान और नेपाल सीमा पर भी भारतीय सेना की तनातनी जारी है। ऐसे में तीन देशों के संग एक साथ निपटने की भारत की कूटनीति और विदेश नीति के लिये इसे परीक्षा का समय कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।  

चीन के साथ इस नये तनाव से पहले ही सीमा पर भारत अपने दो पड़ोसी मुल्कों से निपटने में ब्यस्त था। हालांकि पाकिस्तानी सीमा पर तनाव कोई नई बात नहीं है और भारतीय सेना द्वारा इस पारंपरिक दुश्मन देश को लगातार सबक भी सिखाया जा रहा है। खासकर जम्मू-कश्मीर से लगी सीमा पर घुसपैठ के प्रयास करने और माहौल बिगाड़ने में लगे पाकिस्तानी आतंकवादियों को सेना द्वारा लगातार निशाना बनाया जा रहा है औऱ उनको ढ़ेर करके नापाक मंसूबों पर पानी फेरा जा रहा है लेकिन इसके बावजूद भी पाकिस्तना की हरकतें कम नहीं हो रही है।

नेपाल के साथ हुआ विवाद भारत समेत दोनों देशों के सबसे नया और आश्चर्यजनक हैं। नेपाल और भारत के मैत्रीपूर्ण संबंध जगजाहिर है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी एक बयान में स्वीकार किया कि नेपाल और भारत के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता है। उनके इस बयान का मतलब साफ है कि भारत नेपाल के साथ दुश्मनी का इच्छुक नहीं है लेकिन देश की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जायेगा।

भारत ने रिश्तों को मजबूती देने के लिये बातचीत की पहल की जिम्मदारी नेपाल को सौंपी है। जिसका मतलब साफ है कि नेपाल जिस भी तरीके से आगे बढेगा, भारत उसी तरीके के साथ उससे निपटेगा, फिर चाहे तरीका बातचीत का हो या अन्य कोई। भारत अपनी नीति में कोई बदलाव नहीं करेगा

अब चीन के साथ हुई हिंसक झड़प में 20 से अधिक सैनिकों के शहादत के बाद भारत-चीन संबंधों में नया खटास पैदा हो गया है और भारत द्वारा चीन से निपटने की ठोस रणनीति बनाने पर मंगलवार से काम भी शुरू हो चुका है। रक्षा मंत्री, सेनाध्यक्ष समेत तीनों सेनाओं के प्रमुख लगातार नई दिल्ली में बातचीत कर रहे हैं। इस घटनाक्रम से संबंधित हर प्रगति रिपोर्ट पीएम मोदी को उपल्बध कराई जा रही है। 

चीन के साथ हुई यह खूनी झड़प दोनों देशों के लिये बेहद चिंताजनक है। चीन को भी इसमें भारी नुकसान पहुंचा है। बुधवार सुबह की मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बॉर्डर के पास हुए तनाव के बाद बड़ी संख्या में एम्बुलेंस, स्ट्रेचर पर घायल और मृत चीनी सैनिकों को ले जाया गया।  बताया जा रहा है कि चीन के करीब 40 से अधिक सैनिक हताहत हुए हैं। इस घटना में चीन का भी एक कमांडिंग अफसर मारा गया है, जो कि झड़प की अगुवाई कर रहा था। इधर भारतीय सेना के भी कमांडिंग अफसर की इस झड़प में जान गई थी।

हालांकि हमेशा की तरह चीन ने इस बार पर भी उसके पहुंचे नुकासन की अभी तक कोई पुष्टि नहीं की है। लेकिन इतना साफ है कि उसका नुकसान भारत से कम नहीं हुआ होगा। ऐसे में अंदर ही अंदर भारतीय सैनिको से  उलझने का मलाला भी उसको अंदर ही अंदर जरूर होगा। 

भारत इस समय अपने पड़ोसियों से सीमा पर तनाव के मामले को लेकर हैरान है। पाकिस्तान को छोड़ दिया जाये तो चीन और नेपाल का तनाव ज्यादा हैरान करने वाला है। ऐसे में इससे निपटने के लिये भारत की विदेश नीति और कूटनीति ही बेहतर काम कर सकती है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यह भारत की विदेश नीति की परीक्षा की भी घड़ी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इन तनावों का समाधान भारत कितने कारगर तरीके से हमेशा के लिये निकाल सकता है। 
 










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