Love Jihad: सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण कानून पर रोक से किया इनकार, यूपी-उत्तराखंड सरकार को नोटिस

डीएन ब्यूरो

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लव जिहाद को रोकने के लिये धर्मांतरण कानून लागू किया गया। इस कानून पर रोक के लिये दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की। डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: हाल ही में उत्तर प्रदेश को योगी सरकार द्वारा लव जिहाद को रोकने के लिये राज्य में धर्मांतरण कानून लागू किया गया है। उत्तराखंड में भी इसी तरह का कानून बनाया गया है जबकि मध्य प्रदेश की शिवराज कैबिनेट पिछले हफ्ते ही ऐसे ही एक कानून को मंजूरी दी है। धर्मांतरण कानून पर रोक के लिये सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गयी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण कानून पर रोक से इंकार कर दिया है। हालांकि देश की शीर्ष अदालत इन कानूनों की समीक्षा को तैयार हो गया है। इसी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी जबाव मांगा है। सुप्रीम कोर्ट यूपी और उत्तराखंड सरकार के जबाव से अंतरधार्मिक विवाह के नाम पर धर्मांतरण को रोकने के लिए लाए गए इन कानूनों की समीक्षा करेगा और इनकी संवैधानिकता को परखेगा।

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देश की शीर्ष अदालत में दायर याचिका में याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि नया धर्मांतरण कानून मौलिक अधिकारों का हनन है। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार का ये कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ है, इसलिये इन्हें निरस्त किया जाना चाहिए। 

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बीते नवंबर माह के अंत में ही ‘उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ लेकर आई थी। जिसे राज्यपाल की मंजूरी के बाद राज्य में लागू कर दिया गया है। कानून लागू होने के अगले दिन बाद ही यूपी के बरेली में इस कानून के तहत पहला मामला दर्ज किया गया। इस कानून के तहत राज्य में अब तक कई गिरफ्तारियां भी हो चुकी है।

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गौरतलब है कि यूपी सरकार द्वारा हाल ही मे लाये गये इस कानून में शादी के लिए छल, कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 साल के कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। उत्तराखंड में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2018 में भी शादी के लिए जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान हैं। 










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