सुप्रीम कोर्ट पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट की याचिका को किया खारिज, जानिये क्या है मामला
उच्चतम न्यायालय ने मादक पदार्थ जब्त करने के 1996 के एक मामले में सुनवाई पूरी करने की समय-सीमा निर्धारित करने वाले गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट द्वारा दायर एक अर्जी सोमवार को खारिज कर दी।
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मादक पदार्थ जब्त करने के 1996 के एक मामले में सुनवाई पूरी करने की समय-सीमा निर्धारित करने वाले गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट द्वारा दायर एक अर्जी सोमवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने ‘‘निरर्थक’’ याचिका दायर करने के लिए भट्ट पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
शीर्ष अदालत ने भट्ट को राशि गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता को इस अदालत के पास आने के बजाय शीघ्र निस्तारण के लिए निचली अदालत के साथ सहयोग करना चाहिए था। विस्तार प्रदान करने का मामला निचली अदालत के लिये है। याचिका पूरी तरह से निरर्थक है और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।’’
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भट्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि कई गवाहों का अभी तक परीक्षण नहीं किया गया है और उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देश, निचली अदालत को मामले में उचित तरह से विचार करके फैसला करने से रोकेगा।
गुजरात की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने दलील दी कि आपराधिक मामले में पक्षकारों को मामले के त्वरित निस्तारण के लिए उत्सुक होना चाहिए।
भट्ट को 2015 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। वह 1996 में बनासकांठा जिले में पुलिस अधीक्षक थे। जिला पुलिस ने राजस्थान के एक वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित को 1996 में यह दावा करते हुए गिरफ्तार किया था कि उन्होंने पालनपुर शहर के एक होटल के कमरे से मादक पदार्थ जब्त किया, जहां वह ठहरे हुए थे।
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हालांकि, राजस्थान पुलिस ने बाद में कहा कि बनासकांठा पुलिस ने राजपुरोहित को फंसाया था, ताकि राजस्थान के पाली स्थित एक विवादित संपत्ति को हस्तांतरित करने के लिए उसे मजबूर किया जा सके।
पूर्व पुलिस निरीक्षक आई बी व्यास ने 1999 में मामले की गहन जांच की मांग करते हुए गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया था।