दिल्ली हाई कोर्ट ने एनआईए से किया जवाब तलब, जानिये आतंकी मामले में रोजाना सुनवायी वाला ये मामला

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित इंडियन मुजाहिदीन के एक कथित सदस्य की उस याचिका पर शुक्रवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जवाब मांगा, जिसमें एक विशेष अदालत में उसके खिलाफ लंबित एक आतंकी मामले में दैनिक आधार पर सुनवाई का अनुरोध किया गया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय (फाइल फोटो)
दिल्ली उच्च न्यायालय (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रतिबंधित इंडियन मुजाहिदीन के एक कथित सदस्य की उस याचिका पर शुक्रवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जवाब मांगा, जिसमें एक विशेष अदालत में उसके खिलाफ लंबित एक आतंकी मामले में दैनिक आधार पर सुनवाई का अनुरोध किया गया है।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना कृष्ण बंसल की पीठ ने नोटिस जारी किया और एनआईए को उस याचिका पर चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। याचिका में कहा गया है कि आरोपी नौ साल से हिरासत में है और मामले की सुनवाई में देरी हुई है।

उच्च न्यायालय ने मामले को मार्च के अंत में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए यह स्पष्ट किया कि नोटिस जारी करना आपराधिक मामले में आरोप तय करने के संबंध में निचली अदालत के आदेश सुनाने में आड़े नहीं आएगा।

वकील कार्तिक मुरुकुतला के माध्यम से दायर अपनी याचिका में, मंजर इमाम ने यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश का अनुरोध किया है कि विशेष एनआईए अदालत आतंकवाद रोधी जांच एजेंसी द्वारा जांच किये गए मामले की सुनवायी करे। उसने दावा किया कि एनआईए के मामलों में आरोपी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित सुनवाई के उनके मौलिक अधिकार के उल्लंघन में 'वर्षों से जेल में बंद हैं।’’

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि निचली अदालत में आरोप तय करने पर दलीलें चल रही हैं और इस मामले में दायर आरोप पत्र में उसे कथित अपराधों से जोड़ने के लिए कोई सामग्री नहीं है।

एनआईए के वकील ने कहा कि निचली अदालत मामले में पहले ही तेजी ला चुकी है, जो लगभग रोजाना आधार पर आरोप तय करने पर दलीलें सुन रही है। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह नौ साल से हिरासत में है और मुकदमे की शुरुआत में देरी हुई, क्योंकि केवल दो निर्दिष्ट एनआईए अदालतें थीं, जो गैर-एनआईए मामलों की सुनवाई कर रही थीं, जिनमें जमानत संबंधी मामले, अन्य आईपीसी और मकोका अपराध शामिल हैं।

इमाम को अगस्त 2013 में एनआईए के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य, देश स्थित आईएम स्लीपर सेल और अन्य के साथ मिलकर, आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे और भारत के विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों को निशाना बनाने की तैयारी कर रहे थे।

प्राथमिकी आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत दर्ज की गई थी।










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