सबरीमाला मंदिर: महिलाओं के धार्मिक अधिकारों पर सुनवाई तीन हफ्ते टली
उच्चतम न्यायालय की नौ-सदस्यीय संविधान पीठ ने सोमवार को स्पष्ट किया कि वह केवल सबरीमाला मंदिरमें सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर ही नहीं, बल्कि मुस्लिम और पारसी महिलाओं के धार्मिक अधिकारों पर भी विचार-विमर्श करेगी।
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय की नौ-सदस्यीय संविधान पीठ ने सोमवार को स्पष्ट किया कि वह केवल सबरीमाला मंदिरमें सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर ही नहीं, बल्कि मुस्लिम और पारसी महिलाओं के धार्मिक अधिकारों पर भी विचार-विमर्श करेगी।
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मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली नौ-सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि वह उन्हीं मुद्दों पर सुनवाई तय करेगी, जो 14 नवम्बर 2019 को पांच सदस्यों की पीठ ने उसे सुपुर्द किया था। इनमें महिलाओं का मंदिर और मस्जिद, पारसी महिलाओं का अगियारी में प्रवेश और दाउदी बोहरा समुदाय में महिलाओं का खतना जैसे मसले शामिल हैं।
There are more than 50 review petitions, which had challenged the judgement of the Supreme Court allowing the entry of women of all ages in the Sabarimala temple in Kerala. The petitions are pending before the Supreme Court for final disposal https://t.co/NphnfQgekP
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— ANI (@ANI) January 13, 2020
अलग-अलग धर्मों में धार्मिक रीति-रिवाजों पर महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव के मामले में अदालत दखल दे सकती है या नहीं, इस पर भी विचार-विमर्श किया जायेगा। मामले में अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी। (वार्ता)