क्यों लाया गया उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव? मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताई वजह

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सभापति हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं। विपक्ष की ओर से जब भी नियमानुसार महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं तो सभापति योजनाबद्ध तरीके से चर्चा नहीं होने देते। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Updated : 11 December 2024, 4:09 PM IST
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नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सभापति हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं। विपक्ष की ओर से जब भी नियमानुसार महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं तो सभापति योजनाबद्ध तरीके से चर्चा नहीं होने देते।

खड़गे ने कहा, "भारत का उपराष्ट्रपति पद देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। 1952 से आज तक किसी उपराष्ट्रपति के खिलाफ संविधान के आर्टिकल 67 के अंतर्गत उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया है क्योंकि वे हमेशा निष्पक्ष और पूरी तरह राजनीति से परे रहे हैं। उन्होंने हमेशा सदन को नियमों के अनुसार चलाया, लेकिन आज सदन में नियमों से ज्यादा राजनीति हो रही है।"

सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिए जाने पर खरगे ने आगे कहा, "वे (राज्यसभा के सभापति) हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग करते हैं। विपक्ष की ओर से जब भी नियमानुसार महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं तो सभापति योजनाबद्ध तरीके से चर्चा नहीं होने देते। बार-बार विपक्षी नेताओं को बोलने से रोका जाता है। उनकी (राज्यसभा के सभापति की) निष्ठा संविधान और संवैधानिक परंपरा के बजाय सत्ता पक्ष के प्रति है। वे अपनी अगली पदोन्नति के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि राज्यसभा में सबसे बड़ा व्यवधान सभापति खुद हैं।"

अविश्वास प्रस्ताव में 60 सासंदों ने किए हैं हस्ताक्षर

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक विपक्षी खेमे से कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित समाजवादी पार्टी के सांसदों की ओर से सभापति जगदीप धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाया गया था। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने अनुच्छेद 67 (बी) के तहत अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ जारी अविश्वास प्रस्ताव में 60 सासंदों ने हस्ताक्षर किए हैं। इनमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी समेत अन्य छोटे दलों के सांसदों के हस्ताक्षर मौजूद हैं।