तबाही के बाद मेरे घर में मिट्टी और मलबे के अलावा कुछ नहीं बचा: महाराष्ट्र के गांव में भूस्खलन के बाद पीड़ित ने कहा
महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के इरशालवाड़ी गांव में हुए भूस्खलन के बाद बृहस्पतिवार को एक व्यक्ति ने कहा कि मिट्टी और मलबे के सिवा और कुछ नहीं बचा है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
मुंबई: महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के इरशालवाड़ी गांव में हुए भूस्खलन के बाद बृहस्पतिवार को एक व्यक्ति ने कहा कि मिट्टी और मलबे के सिवा और कुछ नहीं बचा है।
पीड़ित व्यक्ति के माता-पिता भी मलबे के ढेर के नीचे फंसे हुए हैं।
भूस्खलन की यह घटना बुधवार देर रात गांव में एक पहाड़ी की चोटी पर हुई जहां वह व्यक्ति और उसके चार दोस्त रात में पहाड़ी के नीचे स्थित एक स्कूल में रुकते थे। भूस्खलन की इस घटना में 10 लोगों की जान चली गई।
शख्स ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि बुधवार रात करीब साढ़े दस बजे वह स्कूल के कमरे में बैठकर अपने दोस्तों के साथ बातें कर रहा था, तभी उसे तेज आवाज सुनाई दी।
उन्होंने कहा, “मैं खुद को बचाने के लिए स्कूल से बाहर भागा और बाद में पाया कि भूस्खलन हुआ है, जिससे हमारे घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं।”
अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा, “मेरे माता-पिता मलबे में फंसे हुए हैं। अब मेरे घर की जगह पर मिट्टी और मलबे के अलावा कुछ नहीं बचा है।”
उन्होंने कहा कि कोई भी बाहर नहीं निकल पाया।
प्रत्यक्षदर्शी ने यह भी कहा कि उसका एक भाई है, जो पास के आश्रम (आवासीय) स्कूल में पढ़ता है, और उसे अभी तक उसकी कोई जानकारी नहीं मिली है।
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इलाके के घरों में जाने वाली एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने संवाददाताओं को बताया कि घटनास्थल पर 45 घर थे और उनमें से 43 भूस्खलन से प्रभावित हुए हैं।
महिला ने दावा किया कि उन घरों में छह साल तक की उम्र के 25 बच्चों सहित 229 लोग रहते थे। उसने बताया कि इस घटना से वह बेहद दुखी है।
निकट के एक गांव से आई बुजुर्ग महिला ने रुआंसी आवाज में कहा कि उसके परिवार के पांच सदस्य भूस्खलन के मलबे में दब गए हैं।
घटनास्थल पर तलाश और बचाव अभियान चल रहा है और इस बीच भूस्खलन प्रभावित लोगों के रिश्तेदार अपने प्रियजनों के बारे में जानकारी के लिये वहां पर पहुंच रहे हैं।
एक अधिकारी ने डाइनामाइट न्यूज़ को कहा कि भूस्खलन जहां हुआ है वह दुर्गम पहाड़ी इलाका है जहां मलबे को हटाने के लिये भारी मशीनों और उपकरणों को नहीं ले जाया जा सकता जिससे राहत कार्य में बाधा आ रही है।
अधिकारी ने कहा कि इलाके में झोपड़ियों तक जाने वाली एक छोटी सड़क बारिश के कारण फिसलन भरी हो गई है, साथ ही मिट्टी हटाने और उत्खनन में इस्तेमाल होने वालीभारी मशीनरी को वहां ले जाना संभव नहीं है ।
इरशालवाड़ी एक आदिवासी गांव है जहां पक्की सड़क नहीं है। मुंबई-पुणे राजमार्ग पर चौक गांव निकटतम शहर है।
अधिकारी ने बताया कि अभी तक बचाव एवं तलाशी अभियान बिना मशीनी मदद के चलाया जा रहा है।
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अधिकारी ने बताया कि बचाव अभियान के लिए दो हेलीकॉप्टर तैयार रखे गए हैं, लेकिन मौसम साफ होने तक वे उड़ान नहीं भर सकते।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे घटनास्थल पर पहुंचे और बचाव कार्य में लगे कर्मियों से बात की। उन्होंने वहां संवाददाताओं से कहा, “यह गांव भूस्खलन संभावित गांवों की सूची में नहीं था।”
उन्होंने कहा, “अब हमारी प्राथमिकता मलबे के नीचे फंसे लोगों को बचाना है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि बचाव अभियान के लिए मशीनरी को घटनास्थल पर भेजने के लिए हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया जाएगा।
अधिकारियों के अनुसार, अब तक 75 लोगों को बचाया जा चुका है, लेकिन कई लोगों के अभी भी फंसे होने की आशंका है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की चार टीम स्थानीय अधिकारियों के साथ बचाव कार्य में लगी हुई हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि अग्निशमन दल और कुछ स्थानीय पर्वतारोही भी बचाव अभियान में मदद कर रहे हैं।