Uttar Pradesh: यूपी में जमीन मुआवजा घोटाले में SIT का बड़ा खुलासा, जानिये कैसे हुआ फर्जीवाड़ा

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के नोएडा में जमीन मुआवजा घोटाले में एसआईटी ने बड़ा चौंकाने वाला खुलासा किया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

मुआवजा घोटाले में बड़ा खुलासा
मुआवजा घोटाले में बड़ा खुलासा


नोएडा:  उत्तर प्रदेश के नोएडा में मुआवजा घोटाले में एसआईटी ने बड़ा खुलासा हुआ है। मामले की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है। रिपोर्ट के मुताबिक एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

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डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार एसआईटी ने बताया है कि अधिग्रहित जमीन के मुआवजा वितरण में बड़ा गड़बड़झाला हुआ है।

नोएडा अथॉरिटी में वित्तीय अनियमितता मामले में जांच कर रही है। SIT ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर बताया कि अयोग्य किसानों को 117.56 करोड़ रुपये का को मुआवजा दिया गया।

 रिपोर्ट मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को इस मामले से संबंधित सभी दस्तावेज, ओरिजनल दस्तावेज कोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही अथॉरिटी के कई बड़े अधिकारी उच्चतम न्यायालय के रडार पर आ गए हैं। अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी।

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दरअसल नोएडा के गेझा तिलपताबाद गांव में पुराने भूमि अधिग्रहण पर गैरकानूनी ढंग से करोड़ों रुपये का मुआवजा देने के मामले में शिकायत हुई थी। प्राधिकरण अफसरों, दलालों और किसानों ने हाईकोर्ट की फर्जी याचिका का हवाला दिया।

अब अक्टूबर 2023 में सीईओ रितु माहेश्वरी के आदेश पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी। नोएडा के दो अधिकारियों और एक काश्तकार के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इन लोगों पर 7,26,80,427 रुपये का मुआवजा बिना किसी अधिकार के गलत तरीके से भुगतान करने का आरोप है। इसे आपराधिक साजिश बताया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को देखकर उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया। प्राधिकरण के सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर को एफआईआर में नामजद किया गया। नागर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मांगी। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद वीरेंद्र नागर ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर करके राहत की मांग की। अब इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

शहर के बीचोंबीच गेझा तिलपताबाद गांव में जमीन अधिग्रहण के नाम पर हुए करीब 100 करोड़ रुपये के इस घोटाले में बड़े-बड़े अफसर शामिल रहे हैं। इस फाइल पर तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी रमा रमण और अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी राजेश प्रकाश के हस्ताक्षर हैं। इन दोनों शीर्ष अफसरों ने किसानों को मुआवजा देने के लिए फाइल की नोटशीट पर साफ-साफ मंजूरी दी है। रमा रमण रिटायर हो चुके हैं। राजेश प्रकाश उत्तर प्रदेश के लिए नेशनल कैपिटल रीजन बोर्ड में एडिशनल कमिश्नर हैं।
 










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