विविधता में एकता ही हमारी असली ताकत: राष्ट्रपति कोविंद

डीएन ब्यूरो

नवनिर्चावित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शपथ ग्रहण के बाद समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हम अलग-अलग हैं लेकिन फिर भी एकजुट हैं। यही भारत की सबसे बड़ी ताकत है।

संबोधित करते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
संबोधित करते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद


नई दिल्ली: नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद रामनाथ कोविंद ने संसद में आयोजित समारोह को संबोधित किया। संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत विविधताओं से भरा देश है। हम सब अलग-अलग होने के बावजूद भी एकजुट हैं और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत भी है।

यह भी पढ़ें: रामनाथ कोविंद के बारे में जानिए कुछ दिलचस्प बातें..

लोकतंत्र में पूर्ण आस्था प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रनिर्माण में हर व्यक्ति का योगदान है। सरकार राष्ट्रनिर्माण के लिए एक साधन हो सकती है, लेकिन वास्तविक अर्थों में देश का किसान, जवान, वैज्ञानिक समेत स्वास्थ्य सुविधाओं में जुटे डॉक्टर, सुरक्षा में लगे सैन्यकर्मी, अन्य को रोजगार देने वाले स्टार्टअप, महिलाएं, शिक्षक और आम आदमी का योगदान राष्ट्रनिर्माण में अहम है।

यह भी पढ़ें: तस्वीरों में देखिये राष्ट्रपति कोविंद के पहले दिन के कार्यक्रम की खास झलकियां

संबोधन की खास बातें

1. एक राष्ट्र के तौर पर हमने बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन अभी और प्रयास किए जाने की जरूरत है।

2. हमारे प्रयास आखिरी गांव के आखिरी घर तक पहुंचने चाहिए। इस देश के नागरिक ही हमारी ऊर्जा का मूल स्रोत हैं।

3. देश का हर नागरिक राष्ट्र निर्माता है। देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले और हमें सुरक्षित रखने वाले सशस्त्र बल राष्ट्र निर्माता हैं।

4. किसान तपती धूप में लोगों के लिए अन्न उपजा रहा है, वह राष्ट्रनिर्माता है और हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि महिलाएं भी बड़ी संख्या में खेतों में काम करती है।

5. हमें गांधी जी और दीनदयाल उपाध्याय के सपनों के भारत का निर्माण करना है

यह भी पढ़ें: जानिए महामहिम के परिवार को..

6. एक तरफ ग्राम पंचायत स्तर पर सामुदायिक भावना से विचार विमर्श कर के समस्याओं का निस्तारण होगा, वहीं दूसरी तरफ डिजिटल राष्ट्र विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में सहायता करेगा।

7. हमारे राष्ट्रीय प्रयासों के दो महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। राष्ट्र निर्माण का काम अकेले सरकारों द्वारा नहीं किया जा सकता। सरकार सहायक हो सकती है, वह दिशा दिखा सकती है, प्रेरक बन सकती है।

8. देश की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है। विविधता ही वह आधार है जो हमें अद्वितीय बनाता है।

9. हम अलग हैं, लेकिन एक हैं, एकजुट हैं। 21वीं सदी का भारत चौथी औद्योगिक क्रांति को भी विस्तार देगा।

10. बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने हमारे अंदर मानवीय गरिमा और लोकतांत्रिक मूल्यों का संचार किया।

यह भी पढ़ें: महामहिम बने रामनाथ कोविंद, ली राष्ट्रपति पद की शपथ

11. हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जो आर्थिक नेतृत्व देने के साथ ही नैतिक आदर्श भी प्रस्तुत करें।

12. हमारे लिए ये दोनों मापदंड कभी अलग नहीं हो सकते। ये दोनों जुड़े हुए हैं और इन्हें हमेशा जुड़े ही रहना होगा।

13. मैं देश के 125 करोड़ नागरिकों को नमन करता हूं

14. मुझे अहसास है कि मैं डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णण, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणव मुखर्जी जैसी विभूतियों के पद्चिह्नों पर चलने जा रहा हूं।

15.  सेंट्रल हॉल में आकर मेरी पुरानी यादें ताजा हो गई। सांसद के तौर पर इसी सेंट्रल हॉल में कई लोगों के साथ विचार विमर्श किया। कई बार हम एक दूसरे से सहमत-असहमत हुए, पर विचारों का सम्मान किया। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है।










संबंधित समाचार