महराजगंज: यूपी से बाहर तक महक रही निचलौल के औषधीय पौधों की सुगंध, जानिये दो किसानों के कमाल की कहानी

डीएन संवाददाता

निचलौल के एक छोटे से गांव बेदौली में औषधीय पौधे की डिमांड बिहार से लेकर यूपी तक है। यही नहीं पूर्वांचल में यहां के आयुर्वेदिक पौधे, फूल, फल, इमरती लकडी की डिमांड पूर्वांचल में काफी तेजी से बढ रही है। पढें डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

बागवानी के बीच खडे लल्लन
बागवानी के बीच खडे लल्लन


निचलौल (महराजगंज): वन विभाग की दैनिक मजदूरी की नौकरी छोडकर वर्ष 1993 में लल्लन ने निचलौल के बेदौली बनकटी के पहाडी टोला में मात्र 10 हजार पौधों की बिक्री प्रारंभ की। आज उसकी बिक्री का आंकड़ा 3 लाख से अधिक पहुंच गया है, जो यूपी से बिहार तक होती है।

लल्लन के अलावा स्थानीय निवासी सूरज के आयुर्वेदिक पौधे, फूल-फल, इमरती लकडी के साथ सब्जियों के पौधे की बिक्री पूर्वांचल तक अपनी प्रसिद्धी का डंका बजा चुकी है।

डाइनामाइट न्यूज की टीम ने इन दोनों किसानों से बातचीत की इनके कई सुखद अनुभव सामने आये।

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लीज पर ली जमीन 
बेदौली निवासी लल्लन ने बताया कि 10 हजार पौधों से शुरू पौधों की बिक्री का यह व्यवसाय आज 3 लाख पौधों तक पहुंच गया है। वे बताते हैं कि इसके लिए मैंने जमीन लीज पर ले रखी है। बिहार के मुजफफरपुर, गोपालगंज, मोतिहारी, सिवान आदि जिलों के अलावा यूपी के प्रमुख जिलों तक से पौधों की डिमांड आती है।

लल्लन की देखादेखी आज इसी गांव में श्यामबदन, राममिलन, हरेंद्र, उमालाल, शंभू आदि किसानों ने भी बागवानी का कार्य प्रारंभ किया है। 

मायावती सरकार में...
लल्लन बताते हैं कि मायावती सरकार में बेदौली में ही 60-62 पौधाशाला खुली थी। आज घटकर यह संख्या 9 से 10 तक ही रह गई है। बिहार में पौधों को रोपने के साथ ही उनके रख रखाव के समुचित प्रबंध के कारण यहां खपत अधिक रहती है। 

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सूरज

लल्लन और सूरज ने लगाए ये पौधे
लल्लन ने जामुन, अर्जुन, सागौन, अमरूद, ईलिप्टस, गोल्ड मोहर, आंवला, कटहल, गुडेल आदि औषधीय पौधे लगाए हैं। जबकि सूरज ने आयुर्वेदिक पौधे के साथ ही फल, फूल, इमारती लकडी के साथ सब्जियों के पौधे लगाए हैं। सूरज के पिता रमेश मौर्या जो वर्तमान में बीडीसी हैं, ने यह कार्य प्रारंभ किया था जिसे आज इनका बेटा पढाई के साथ बखूबी देखभाल कर रहा है। 










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