बेटे की जीत के साथ अमरमणि त्रिपाठी ने एक बार फिर साबित की अपनी बादशाहत

जमिमा जोसफ

पूर्वांचल ने हमेशा इतिहास लिखने का काम किया है। जेल में बंद होने के बावजूद, यारों के यार.. दबंग छवि के नेता औऱ यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी ने पत्थर पर दूब जमाने जैसा काम किया है।

अमरमणि त्रिपाठी
अमरमणि त्रिपाठी


लखनऊ: अमरमणि त्रिपाठी के बारे में कहा जाता है कि वे जनता के दिलों पर राज करते हैं..यह सही भी है। महराजगंज जिले की नौतनवा सीट पर बेटे अमनमणि की ऐतिहासिक जीत ने यह साबित कर दिया है।  

हवाओं का रुख बदलने जैसा नतीजा नौतनवा की सीट पर देखने को मिला है। जेल की सलाखों के पीछे पिता-पुत्र के होने के बाद भी और एक भी दिन अमन के क्षेत्र में चुनाव-प्रचार न पाने के बाद भी मणि परिवार को नौतनवा की जनता ने सर-आंखों पर बिठाते हुए ऐतिहासिक जीत दिलायी है।

जेल से रिहा होने के बाद समर्थकों के बीच दोहरी खुशी मनाते नवनिर्वाचित विधायक अमनमणि

सबसे खास बात यह रही कि अमन ने यह चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में टैम्पू चुनाव चिन्ह से लड़ा था और इनके राजनीतिक विरोधी कुंवर कौशल सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने सपा औऱ कांग्रेस गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी के रुप में। शुरुआत में सभी निर्दल प्रत्याशी की जीत को लेकर आशंकित थे लेकिन इसके बावजूद अमन के चुनावी मैनेजमेंट ने ऐसा चक्रव्यूह रचा जिसमें मुन्ना सिंह बुरी तरह घिर गये और उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी से करारी हार का सामना करना पड़ा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता शिवेंद्र चतुर्वेदी के मुताबिक अमन को हराने के लिए हर तरह की कोशिशें की गयी। सारा सिंह मर्डर केस में कल ही जेल से छूटे अमन के खिलाफ मतदान के लिए सारा की मां की तरफ से भावनात्मक अपील का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कराया गया लेकिन जनता ने सारे हथकंडे फेल कर दिये और अमन को अपना नया रहनुमा चुन लिया।

अमन की इस जीत के पीछे युवाओं ने बड़ी भूमिका निभायी है। इस जीत के लिए अमन के भाई अनयमणि त्रिपाठी, बहनों तनुश्री और अलंकृता ने तगड़ी व्यूह रचना की। इसी का परिणाम था कि अमरमणि परिवार के सभी पुराने समर्थक गुड्डू खान, सुधीर त्रिपाठी और जमाल अहमद ने मुन्ना सिंह को बीच मझधार में छोड़ते हुए अमन को जीताने के लिए वापस आ गये.. यही से अमन के पक्ष में माहौल बनने लगा और नतीजा ऐतिहासिक जीत के रुप में सामने आया।  

अमन पहली बार विधायक बने हैं लेकिन उनके पिता अमरमणि 1996, 2002 और 2007 में लगातार तीन बार विधायक चुने गये औऱ यूपी सरकार के कद्दावर मंत्री रहे।

अब युवा अमन पर बड़ी चुनौती होगी कि वे नौतनवा के जनता की जनआकांक्षाओं पर खरे उतरे और अपने आपको एक परिपक्व नेता के रुप में स्थापित करें।  










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