Masan Holi 2024: रंगों से नहीं, यहां चिता की राख से खेली जाती है होली, जानिये मसान होली का अद्भुत महत्व

डीएन ब्यूरो

आपने भारत में कई प्रकार की होली देखी होंगी परंतु कुछ जगाह ऐसी भी हैं जहां लोग रंगों या फूलों से नहीं बल्कि चिता की राख से होली खेलते हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की इस खास रिपोर्ट पढ़िए

मसान की होली
मसान की होली


नई दिल्ली: भारत में होली का त्योहार बड़े ही शानदार तरीके से मनाया जाता है। होली के दिन लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। इस दिन सब लोग आपस में बैर-भाव को दूर कर एक साथ इस भव्य उत्सव का आंनद उठाते हैं।

देश में कुछ जगह ऐसे भी हैं, जहां पर होली खेलने के लिए रंगों का नहीं बल्कि चिता की राख का प्रयोग किया जाता है। उस होली को मसान की होली भी कहा जाता है। 

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मसान होली क्या है
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक भारत में कुछ ऐसी जगहें हैं, जहां पर लोग चिता की राख से होली खेलते हैं। मसान की होली एक प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश की परंपरागत होली है। इस उत्सव में लोग भगवान शिव की भक्ति करते हैं और उनके नाम पर रंग और राख उड़ाते हैं।

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राख की होली
वाराणसी के महाश्मशान घाट पर लोग चिता की राख से होली खेलते हैं। इस दौरान यहां, डमरू, घंटे और म्यूजिक सिस्टम के साथ जोरों से संगीत बजता है। मान्यता हैं कि चिता की राख से होली खेलने की परंपरा करीब 300 साल से भी ज्यादा पुरानी है।

मान्यता के मुताबिक भगवान शिव-विवाह के बाद माता पार्वती को इस दिन गौना कराकर काशी पहुंचे थे। उसके बाद उन्होंने अपने गणों के साथ होली खेली थी। लेकिन, भूत, पिशाच और अघोरियों के साथ होली नहीं खेल पाए थे। तब उन्होंने रंगभरी एकादशी के दिन चिता की राख से इन सभी के साथ होली खोली थी।

इसलिए आज भी हरिश्चंद्र घाट पर महाश्मशान नाथ की आरती के बाद ही चिता की राख से होली खेली जाती है। 

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अघोरी करते हैं भगवान शिव की अराधना
बहुत से लोग होली पर भगवान शिव की आराधना करते हैं और होली खेलते हैं। खासकर अघोरी समुदाय के लोग इस दिन को महत्वपूर्ण मानते हैं और शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।

इस दिन सभी साधू-अघोरी राख की होली खेलते हैं। इस दिन, कुछ अघोरी साधक भगवान शिव के नाम का जाप करते हैं और अपने तांत्रिक अनुष्ठान करते हैं।










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