Manipur: पोलो खिलाड़ियों ने घोड़ों पर सवार होकर की शांति रैली निकाली
जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने की अपील करते हुए बुधवार को घोड़ों की रैली आयोजित की गई।
इंफाल: जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने की अपील करते हुए बुधवार को घोड़ों की रैली आयोजित की गई।
लगभग 100 पोलो खिलाड़ियों ने “हम शांति चाहते हैं” लिखी तख्तियों के साथ घोड़ों की सवारी की।
‘मणिपुर हॉर्स राइडिंग एंड पोलो एसोसिएशन’ के अध्यक्ष एच. दिलीप सिंह ने कहा, “हमें डर है कि मणिपुर की अखंडता खतरे में है, इसलिए हमने रैली निकालने का फैसला किया है।”
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एसोसिएशन के उपाध्यक्ष एन. तोम्बी राज ने कहा, “रैली घोड़ा फार्म से शुरू हुई और इंफाल पश्चिम जिले के प्रमुख इलाकों से निकली।”
माना जाता है कि आधुनिक समय के पोलो खेल की उत्पत्ति मणिपुर में हुई थी जहां इसे 'सगोल कांगजेई' (सगोल का अर्थ घोड़ा और 'कंगजेई' लाठी का खेल होता है) के रूप में खेला जाता था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच एक महीने पहले भड़की हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
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राज्य में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं।
मणिपुर में 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। आदिवासियों-नगा और कुकी समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में बसती है।