महराजगंज: अवैध शराब के खिलाफ पुलिस की छापेमारी महज दिखावा, भट्टियां टूटती..पर आरोपी नहीं मिलते, जानिये वजह

डीएन ब्यूरो

जिले में अवैध शराब के खिलाफ पुलिस द्वारा आये दिन छापेमारी की जाती रहती है लेकिन पुलिस की यह कार्रवाई कई बार महज दिखावा ही साबित होती है। पढिये, डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट..

कच्ची शराब की भट्टी तोड़ती पुलिस
कच्ची शराब की भट्टी तोड़ती पुलिस


बृजमनगंज (महराजगंज): जिले में पुलिस द्वारा कच्ची और अवैध शराब के खिलाफ आये दिन छापेमारी की जाती रहती है लेकिन कई बार पुलिस की यह छापेमारी महज दिखावा साबित होती है। यदि पुलिस सही तरह से छापेमारी करे तो अवैध शराब की भट्टियां पनपे ही नहीं। दूसरी बात यह कि छापेमारी में भट्टियां तो तोड़ दी जाती है लेकिन अवैध कारोबार में संलिप्त लोग नदारद हो जाते है, जिससे उनके खिलाफ समुचित कार्रवाई नहीं होती।

ऐसा ही मामला बृजमनगंज में फिर सामने आया। लोधपुरवा में बृजमनगंज व आबकारी विभाग की टीम ने कच्ची शराब कारोबारी के खिलाफ छापेमारी की। जिसमें पुलिस ने पांच कुंतल लहन व आधा दर्जन के करीब भट्टियों को नष्ट किया। मजे की बात यह है कि जब पुलिस विभाग वहां छापेमारी करने को पहुंची तो इस अवैध कारोबार में संलिप्त लोग वहां से नदारत हो चुके थे।

जानकारी यह भी है कि पुलिस के पहुंचने से पहले ही कच्ची शराब के कारोबारियों को इसकी सूचना मिल जाती है। अब बड़ा सवाल यह है कि पुलिस की यह गोपनीय जानकारी इस अवैध धंधे में लगे कारोबारियों तक पहुंचाता कौन है। पुलिस के पहुंचने से पहले ही ये कारोबारी हर बार मौके से फरार हो जाते हैं।

डाइनामाइट न्यूज को यहां तक जानकारी मिली है कि कच्ची शराब के अवैध कारोबार में संलिप्त लोगों तक पुलिस की छापेमारी की खबर विभाग के अंदर से ही पहुंचाई जाती है और इसलिये नियत समय से पहले आरोपी फरार हो जाते हैं। 

ऐसा नही है कि यह पहली बार है, जब पुलिस ने इस तरह से छापेमारी की। इससे पहले भी ऐसा कई बार हो चुका है। इसलिये पुलिस आज तक एक भी कारोबारी को नही पकड़ सकी है। यह अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है।   

परगापुर ताल अवैध शराब कारोबारियों का बड़ा अड्डा है। ताल से सटे विशाल फरेंदा का जंगल है। इन अवैध शराब कारोबारियों को लहन तैयार करने के लिए आसानी से जंगल से लकड़ी भी उपलब्ध हो जाती है और वह ताल के किनारे भठियां जलाकर शराब बनाने का कार्य करते हैं। लहन को सड़ाने के लिए व प्लास्टिक में भरकर उसे गहरे पानी में रख देते है। जिससे ताल का पानी भी दूषित हो रहा है। वही यह जंगल के बेशकीमती लकड़ियों को भी बर्बाद कर रहे हैं।










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