Maha kumbh: भगवान शिव का महाकुंभ से क्या है रिश्ता, जानिए पौराणिक कथा
महाकुंभ में महादेव को जल चढ़ाने की परंपरा चलती आ रही है। लेकिन महांकुंभ से भगवान शिव का क्या रिश्ता है? डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में जानें पूरी कहानी
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश को प्रयागराज में दो दिन बाद महाकुंभ शुरू होने जा रहा है। इसकी तैयारियां अंतिम चरण पर है। महाकुंभ का शाही स्नान काफी शुभ माना जाता हैं। लेकिन क्या आप महाकुंभ से जुड़ी अनसुनी कहानियों के बारे में जानते है? क्या आपने कभी सोचा है कि महाकुंभ में भगवान शिव को क्यों पूजा जाता है, क्या है भोलेनाथ का महाकुंभ से कनेक्शन?
महाकुंभ से भोनेनाथ का रिश्ता
13 जनवारी से महाकुंभ शुरू होने जा रहा है। महाकुंभ मेले में कई विश्वभर से लोग शामिल होते हैं। मान्यता है कि इसमें शाही स्नान करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। लेकिन महाकुंभ से भगवान शिव रिश्ता है।
मान्यता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बहुत ज़्यादा कठिन तप करने की आवश्यकता नहीं होती। उन्हें आप एक कलश जल और बेल पत्र चढ़ाकर प्रसन्न कर सकते हैं। भगवान भोलेनाथ के लिए व्रत कर मन चाहा वर पाया जा सकता है। भगवान शिव पर चढ़ाई गई सामग्री, द्रव्य, वस्त्र आदि पर पूजा अनुष्ठान करवाने वाले व्यक्ति का ही अधिकार मान्य होता है किसी अन्य का नहीं।
पौराणिक कथा के अनुसार
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवता और दानव के बीच समुद्र मंथन हुआ था। इस समुद्र मंथन में अच्छी और बुरी दोनों तरह की चीजें निकली थी। समुद्र मंथन के दौरान एक विष निकला जिसका नाम हलाहल था। यह विष इतना प्रभावशाली था कि पूरे संसार की तरफ बढ़ने लगा। सभी देवता उस विष के जानलेवा प्रभाव के आगे कमज़ोर नज़र आने लगे।
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किसी में इतनी शक्ति नहीं थी कि उस विष के प्रभाव को रोक सके। उस समय भगवान शिव ने पूरे संसार को बचाने के लिए इस विष का पान कर लिया, और इसे अपने कंठ में ही धारण करे रखा, विष अत्यंत प्रबावशाली होने के कारण भगवान शिव का कंठ नीला हो गया। तभी उनका नाम नील कंठ पड़ा।
महादेव पर किया गया जलाभिषेक
विष के प्रभाव को शांत करने के लिए महादेव को शांत करने के लिए कई बार उनका जल से अभिषेक किया गया। घड़े भर-भर कर उन्हें स्नान कराया गया।
ऐसा कहा जाता है, कि तभी से शिवजी के जलाभिषेक की परंपरा चल रही है। उन्हें हर शीतल औषधियां दी गई। भांग, जिसकी तासीर ठंडी होती है और जो प्रबल निश्चेतक भी है। वह पिलाया गया. धतूरा, मदार आदि का लेप किया गया।
इस दौरान भोलेनाथ पर दूध-दही, घी सभी पदार्थ मले गए। इस तरह महादेव विष के प्रभाव को रोक सके और संसार को नष्ट होने से बचाव लिया। अब सागर तट पर एक ही आवाज गूंज रही थी. हर-हर महादेव, जय शिव शंकर।
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