साहित्यिक संस्था ने मेहमानों को सम्मानित करने के लिए माफी मांगी, जानिये पूरा मामला

बांग्ला साहित्य सभा, असम (बीएसएसए) ने मेहमानों को सम्मानित करने के लिए असमिया एवं बंगाली गमोचा (स्कार्फ) को बीच से काटने और फिर उन्हें एक साथ सिलने को लेकर मंगलवार को माफी मांगी। संस्था के इस कदम की विभिन्न तबकों द्वारा तीखी आलोचना की गई थी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 28 March 2023, 4:36 PM IST
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गुवाहाटी: बांग्ला साहित्य सभा, असम (बीएसएसए) ने मेहमानों को सम्मानित करने के लिए असमिया एवं बंगाली गमोचा (स्कार्फ) को बीच से काटने और फिर उन्हें एक साथ सिलने को लेकर मंगलवार को माफी मांगी। संस्था के इस कदम की विभिन्न तबकों द्वारा तीखी आलोचना की गई थी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार बीएसएसए ने कहा कि यह विचार करीब एक साल पहले एक अन्य संगठन द्वारा इस्तेमाल किए गए विशेष रूप से सिले स्कार्फ से लिया गया था और उस समय कोई विवाद नहीं हुआ था।

बीएसएसए ने रविवार को यहां आयोजित अपने पहले राज्य स्तरीय सम्मेलन में अतिथियों को सम्मानित करने के लिए सिले गमोचा का इस्तेमाल किया था। उपस्थित लोगों में राज्य के शिक्षा मंत्री आर पेगू भी थे।

सिले गमोचा का एक हिस्सा असमिया था जबकि दूसरा हिस्सा बंगाली समुदाय द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला था।

संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष खगेन चंद्र दास और महासचिव प्रशांत चक्रवर्ती ने एक बयान में कहा, 'हमने बराक-ब्रह्मपुत्र घाटी के बीच सद्भाव के प्रतीक के तौर पर इस विचार को अपनाया था। हालांकि, राज्य के लोगों के एक तबके ने इस विचार को स्वीकार नहीं किया।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘अनजाने में किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचने के लिए हम माफी मांगते हैं और हम भविष्य में यह सुनिश्चित करने के लिए अधिक सावधान रहेंगे कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो।'

पेगू ने रविवार को कहा था कि यह विवाद 'अनावश्यक' है क्योंकि बीएसएसए ने 'सद्भावना के प्रतीक' के रूप में कपड़े के दो टुकड़ों को सिल दिया था क्योंकि वे अपनी पहचान असम के बंगाली के रूप में मानते हैं।

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