Janmashtami: जानिए कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और जन्मोत्सव की कहानी

डीएन ब्यूरो

श्री कृष्ण जन्माष्टमी हर साल भादो माह के कृष्ण पक्ष में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां
कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां


नई दिल्ली: जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami) का त्योहार (Festival ) हिंदू धर्म में धूमधाम से मनाया जाता है। श्रीकृष्ण (Shri Krishna) के जन्मोत्सव को जन्माष्टमी कहा जाता है। माना जाता है कि यह वही दिन है जब भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने धरती पर कृष्ण अवतार लिया था। हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। 

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मान्यतानुसार श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। 

भगवान कृष्ण का मनमोहक रूप

इस दिन भक्त पूरे श्रद्धाभाव से अपने आराध्य श्रीकृष्ण (Shri Krishna) के लिए व्रत रखते हैं और पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। उनके नाम का उपवास रखते हैं, रात्रि के समय भगवान को स्नान आदि करा 56 भोग का प्रसाद लगाया जाता है। वहीं इस दिन श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल के रूप में उनकी मूर्ति का पूजन करना शुभ होता है।

जानिए क्यों मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी और कैसे की जाती है पूजा

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क्यों मनाई जाती कृष्ण जन्माष्टमी
जन्माष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार कृष्ण ने देवकी की कोख से उनकी आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया था। कंश के कारागार में जन्म लेने के बाद उनके पिता वासुदेव उनके गोकुल में नंद बाबा के यहां छोड़ आए थे।

कृष्ण का सारा बचपन नंद गांव में बिता। कंस के अत्याचारों से धरती को मुक्त कराने के लिए भगवान विष्णु ने द्वापर युग में भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि पर कृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से जन्म लिया। कृष्ण के जन्म से लोक परलोक दोनों ही प्रसन्न हो गए थे। इस कारण कृष्म के जन्म के रूप में जन्माष्टमी का प्रव भादव महीने की अष्टमी तिथि को मनाया जानें लगा।

इस तिथि को है कृष्ण जन्माष्टमी 
पंचांग के अनुसार इस साल 26 अगस्त सोमवार को तड़के 3 बजकर 39 मिनट पर भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि का शुभारंभ हो रहा है। यह तिथि अगले दिन 27 अगस्त मंगलवार को तड़के 2 बजकर 19 मिनट पर खत्म हो रही है। उदयातिथि के आधार पर अष्टमी तिथि 26 अगस्त सोमवार को है। मान्यतानुसार श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।

जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त
निशिता पूजा का समय: 26 अगस्त की रात 12 बजकर 06 मिनट, रात से 12 बजकर 51 मिनट, तक
पूजा अवधि: 45 मिनट
पारण समय: 27 अगस्त दोपहर 03 बजकर 38 मिनट पर
चंद्रोदय समय: रात 11 बजकर 20 मिनट पर

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जानिए पूजा विधि
जन्माष्टमी के दिन शुद्ध जल, दूध, दही, शहद और पंचमेवा से बाल कृष्ण (Bal Krishna) की मूर्ति को स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें वस्त्र पहनाकर पालने में स्थापित करें। श्रीकृष्ण की आरती करें , भजन, जन्माष्टमी की कथा पढ़े, देखे या  सुने। इस दिन भोग में पंजीरी तैयार करें और पूजा के पश्चात सभी में इसे बांटे। तभी मनोरथ पूरे होते हैं। माना जाता है कि श्रीकृष्ण की पूजा करने पर भक्तों के जीवन में खुशहाली आती है।

जन्माष्टमी पर करें इन मंत्रों और स्तुतियों का जाप
ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम: – हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे – ऊँ कृष्णाय नम: – कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम: – ऊँ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय नम:

जन्माष्टमी पर इन चीजों को घर पर लाना होता है शुभ
लड्डू गोपाल की मूर्ति, बांसुरी, मोर पंख, गाय और बछड़े की मूर्ति और माखन -मिश्री बाजार से लाना शुभ होता है।

दुर्लभ योग में जन्माष्टमी
वैदिक पंचांग के अनुसार साल 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त दिन सोमवार को जयंती योग में मनाया जाएगा। जयंती योग में जन्माष्टमी का व्रत करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान कृष्ण की आराधना करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

 










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