जानिये ग्रेटर नोएडा के किसानों के विरोध प्रदर्शन एआईकेएस ने क्या कहा

डीएन ब्यूरो

ग्रेटर नोएडा में किसानों का दो महीने तक चला विरोध प्रदर्शन केंद्र के अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन से प्रेरित था और 49 गांवों के लोग एक साथ आए। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: ग्रेटर नोएडा में किसानों का दो महीने तक चला विरोध प्रदर्शन केंद्र के अब निरस्त किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन से प्रेरित था और 49 गांवों के लोग एक साथ आए। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) कार्यकर्ताओं ने सोमवार को यह जानकारी दी।

ग्रेटर नोएडा में किसानों का प्रदर्शन रविवार (25 जून) को समाप्त हुआ।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, किसान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत अपनी भूमि के लिए अधिक मुआवजे और बेहतर पुनर्वास सुविधाओं की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

एआईकेएस नेता रुपेश वर्मा ने कहा, “हम 16 जनवरी को कुछ मुद्दों को उठाने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के कार्यालय गए। प्राधिकरण कार्यालय के अंदर किसानों का प्रवेश प्रतिबंधित था और हमने इसका विरोध किया। हमने प्राधिकरण अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन वे सुनने को तैयार नहीं थे।”

विरोध प्रदर्शन सात फरवरी को शुरू हुआ और 14 मार्च और 23 मार्च को भी आयोजित किया गया। किसान 25 अप्रैल को प्राधिकरण कार्यालय के सामने धरने पर बैठे।

किसानों की प्रमुख मांगों में उनकी भूमि के लिए अधिक मुआवजा, प्रत्येक विस्थापित परिवार के एक सदस्य के लिए नौकरी, स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी सुविधाएं, भूमिहीन मजदूरों के लिए भूमि और अन्य चीजें शामिल थीं।

रविवार को प्रदर्शनकारी किसानों का प्राधिकरण के साथ समझौता हो गया। प्राधिकरण किसानों की मांगों पर चर्चा के लिए 30 जून तक एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाने पर सहमत हुआ।

समिति की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री करेंगे और इसके सदस्यों में प्राधिकरण के अध्यक्ष और सीईओ, मुख्य सचिव (औद्योगिक), राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर, लोकसभा सदस्य महेश शर्मा, दादरी विधायक तेजपाल सिंह, जेवर विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह और किसानों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

आईकेएस महासचिव विजू कृष्णन ने इसे किसानों के लिए ‘ऐतिहासिक जीत’ बताया।

एआईकेएस नेताओं ने कहा कि वे सरकार को अपनी मांगों पर कार्रवाई करने के लिए 15 जुलाई तक का समय देंगे और अगर कोई प्रगति नहीं हुई तो अपना आंदोलन फिर से शुरू करेंगे।










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