RIP Mulayam Singh Yadav: जानिये मुलायम सिंह यादव का शिक्षक से सियासत के शिखर पुरुष बनने का रोचक सफर

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के तीन बार के मुख्यमंत्री और भारत सरकार में रक्षा मंत्री रहे समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़िये मुलायम सिंह का पूरा सियासी सफर

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का 83 वर्ष की आयु में निधन
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का 83 वर्ष की आयु में निधन


नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के संस्थापक, संरक्षक और उत्तर प्रदेश के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव का 83 वर्ष की आयु में गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। स्वास्थ्य खराब होने के बाद उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था और वे वहां सीसीयू में भर्ती थे। मुलायम सिंह के निधन की खबर के बाद समाजवादी पार्टी समेत देश के राजनीतिक गलियारों में शोक छा गया। 

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22 नवंबर 1939 को इटावा जनपद के सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव को उनके शानदार सियासी सफर के लिए सदा याद रखा जायेगा। मुलायम सिंह यादव इस समय मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद थे। वे तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री के अलावा 1996 से 1998 तक केंद्रीय रक्षा मंत्री भी रहे।

मुलायम सिंह यादव को धरती पुत्र भी कहा जाता है क्योंकि उन्हें जमीनी राजनीति से जुड़ा और खेती-किसानी परिवार से आये राजनेता के रूप में देखा जाता रहा है। वे एक राजनेता के रूप में अक्सर खेती-किसानी और गरीबों के हक में खूब बातें करते थे। वे हर वर्ग को साथ लेकर आगे बढ़े। यहां कारण है कि राजनीति में आने के बाद फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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वे यूपी में 8 बार विधायक, 7 बार सांसद, 3 बार यूपी के मुख्यमंत्री, 1 बार केंद्रीय रक्षा मंत्री और 1 बार यूपी में विधान परिषद के सदस्य रहे।  
खेती-किसानी के अलावा मुलायम सिंह यादव पहलवानी भी करते थे और टीचिंग के पेशे से जुड़े थे।

मुलायम सिंह ने जीवन में हर किस्म की धूप छांव देखी है। वे जनता दल औऱ लोक दल में रहे। कई बड़े नेताओं के साथ राजनीति की फिर समाजवादी पार्टी की नींव 1992 में रखी। उन्होंने देश के सबसे बड़े राज्य यूपी पर एक या दो बार नहीं बल्कि तीन बार बतौर मुख्यमंत्री राज किया। 

राम मनोहर लोहिया जैसे बड़े राजनेता के साथ जुड़कर मुलायम सिंह ने अपना सियासी सफर शुरू किया। उन्होंने आगे चलकर राममनोहर लोहिया की विरासत को आगे बढ़ाया। वे पहली बार 1967 में उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गये और इसके बाद उन्होंने कभी भी मुड़कर पीछे नहीं देखा।

वे 8 बार यूपी विधानसभा पहुंचे। वे 1977 में पहली बार उत्तर प्रदेश में मंत्री बने। वे 1980 में जनता दल की सहयोगी पार्टी लोक दल के अध्यक्ष भी चुने गये। 1982 में वे उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर भी रहे।

मुलायम सिंह यादव 1989 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की स्थापना की। 1993 में वे दोबारा यूपी के मुख्यमंत्री बने।

सितंबर 2003 में उन्होंने तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 

यूपी की पॉलिटिक्स जिन धर्म और जाति के मुकामों की प्रयोगशाला से गुजरी, उसके एक कर्ताधर्ता मुलायम भी थे।

उन्होंने हर वर्ग को साधा और उन्हें हर वर्ग का साथ भी मिला। उन्हें नये राजनीतिक प्रयोगों के लिये हमेशा याद रखा जायेगा।










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