कर्नाटक हाई कोर्ट ने जिम्मेदार कंपनियों को दी ये बड़ी नसीहत, जानिये क्या कहा
आंकड़ों की कमी का अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ने का जिक्र करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया, जिसने 2011 के लिए अपने परिचालन के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए थे। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
बेंगलुरु: आंकड़ों की कमी का अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ने का जिक्र करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया, जिसने 2011 के लिए अपने परिचालन के आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए थे।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मस्तूरलाल प्राइवेट लिमिटेड नाम की इस कंपनी के खिलाफ 2015 में सांख्यिकी संग्रह अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू की गई थी। कंपनी ने इसके खिलाफ 2022 में अदालत का दरवाजा खटखटाया।
यह भी पढ़ें |
कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया को बड़ी राहत, लिंगायत मुख्यमंत्री संबंधी टिप्पणी पर जानिये ये बड़ा अपडेट
न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने हाल में अपने फैसले में कहा कि किसी भी कंपनी की ओर से कोई भी लापरवाही देश की आर्थिक नीतियों पर प्रभाव डालेगी।
अदालत ने आंकड़ों के संग्रह के महत्व पर कहा, ''यह बात जगजाहिर है कि भारतीय सांख्यिकीय प्रणाली दुनिया की सबसे अच्छी प्रणालियों में से एक है। देश सांख्यिकीय अनुपालन और अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं से संबंधित सभी अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों में भाग लेता है।''
यह भी पढ़ें |
हाई कोर्ट ने सरकारी कर्मियों के खिलाफ मुकदमे के लिए मंजूरी को लेकर दिया ये बड़ा आदेश
अदालत ने आगे कहा कि इसलिए अधिनियम के तहत प्रत्येक हितधारक के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह सालाना आधार पर अपने आंकड़े प्रस्तुत करे अन्यथा उन्हें कानून की धारा 15 के तहत कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।