क्या आपका बच्चा भी है ‘गणित' में कमजोर, इन खास तरीकों से करें उनकी मदद
विद्यार्थियों में ‘गणित की चिंता’ का होना एक वास्तविकता है, लेकिन तीन तरीके अपनाकर हम बच्चों की मदद कर सकते हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
सिडनी: विद्यार्थियों में ‘गणित की चिंता’ का होना एक वास्तविकता है, लेकिन तीन तरीके अपनाकर हम बच्चों की मदद कर सकते हैं। ‘गणित की चिंता’ से आशय तनाव और परेशानी की खास भावना से है जो किसी व्यक्ति की गणितीय समस्याओं को हल करने की उसकी क्षमता में बाधा डालती है।
शोधकर्ता गणित की चिंता को सामान्य चिंता, या परीक्षा की चिंता से अलग मानते हैं, हालांकि इनमें कुछ बातें समान होती हैं।
देशभर में 10 लाख से ज्यादा युवा ऑस्ट्रेलियाई 15 मार्च से ‘एनएपीएलएएन’ संख्यात्मक परीक्षा में शामिल होंगे। अधिकांश छात्रों के लिए यह स्कूल की गतिविधियों का एक नियमित हिस्सा होगा (यद्यपि दोपहर भोजन के अवकाश में इधर-उधर भागने के मुकाबले कम मजा मिलेगा)। लेकिन कई छात्रों के लिये गणित की परीक्षा देना अपने आप में ही भयावह अनुभव होता है। ये छात्र ‘गणित को लेकर चिंता’ से पीड़ित हो सकते हैं।
हम गणित की पढ़ाई के शिक्षाविद हैं। यहां बताया गया है कि अगर आपका बच्चा भी ‘गणित को लेकर चिंता’ का सामना कर रहा है तो उसकी मदद कैसे करें।
गणित को लेकर चिंता क्या है?
गणित की चिंता तनाव और परेशानी की भावना है जो किसी व्यक्ति की गणितीय समस्याओं को हल करने की क्षमता में बाधा डालती है।
गणित को लेकर चिंता आमतौर पर इस विषय के साथ खराब अनुभव के परिणामस्वरूप विकसित होती है, जो आपके गणित की क्षमता के बारे में नकारात्मक विचारों की ओर ले जाती है। ये विचार गणित से बचने की तरफ ले जा सकते हैं और अगर परीक्षा का सामना करना ही पड़े तो असहाय होने की भावना महसूस होती है।
गणित को लेकर चिंता कई युवा लोगों और वयस्कों के लिए एक आम समस्या है यहां तक कि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों तक में देखी जा सकती है।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के गणित शिक्षा के प्रोफेसर जो बोलर के अनुसार, 2012 तक, 50 प्रतिशत वयस्कों में गणित को लेकर चिंता थी। ‘विक्टोरियाई शिक्षा विभाग’ का मानना है कि दरें कम हैं तथा छह से 17 प्रतिशत के बीच है। हालांकि, अकादमिक अध्ययन में औसत दर लगभग 20 प्रतिशत है।
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इसका मतलब है कि ऐसे हजारों बच्चे हैं जो आगामी एनएपीएलएएन संख्यात्मक परीक्षा से डर रहे होंगे।
ऐसे में सवाल यह है कि माता-पिता ऐसा क्या कर सकते हैं कि उनके चिंतित बच्चे एनएपीएलएएन संख्यात्मक परीक्षा और गणित की अन्य परीक्षाओं में बेहतर करें? ऐसी तीन व्यवहारिक चीजें हैं जिनपर आप तत्काल और भविष्य में भी अमल कर सकते हैं:
1. विश्वास बढ़ाने के लिये सफलताओं पर ध्यान केंद्रित करें
ज्यादातर बच्चे गणित में अच्छा करना चाहते हैं। यदि वे छोटे हैं, तो वे समझेंगे कि यह कुछ ऐसा है जो उनके शिक्षक और माता-पिता सोचते हैं कि यह महत्वपूर्ण है। यदि वे बड़े हैं, तो वे जानेंगे कि भविष्य की नौकरियों और करियर के लिहाज से यह महत्वपूर्ण है।
गणित को लेकर चिंता का एक अहम स्रोत छात्रों को उनके गणित में कमजोर होने को लेकर लगातार मिलने वाली हिदायत हैं।
बेचैनी को कम करने के लिये सकारात्मक पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है, अपने बच्चे को वह समय बताएं जब उसने गणित में सफलता प्राप्त की थी। गणित में आगे की सफलता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए पूर्व में मिली सफलता के अनुभव महत्वपूर्ण हैं।
सफलता प्रदर्शित करने का एक व्यावहारिक तरीका यह है कि बच्चे से कोई पुरानी वर्कशीट करायी जाए, भले ही वह दो साल पहले की हो।
2. एनएपीएलएएन के दबाव से बचें
राष्ट्रीय मूल्यांकन कार्यक्रम-साक्षरता और संख्यात्मकता (एनएपीएलएएन) और किसी भी अन्य परीक्षा को लेकर चिंता को इसके महत्व पर अधिक जोर देकर बढ़ाया जा सकता है। अपने बच्चे को इस बात को लेकर आश्वस्त करना कहीं ज्यादा रचनात्मक तरीका है कि वे परीक्षा में कैसा प्रदर्शन करते हैं इसे लेकर कोई फैसला नहीं सुनाएगा।
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फिलहाल अधिकांश स्कूलों नें एनएपीएलएएन परीक्षा को लेकर छात्रों को तैयारी करवाने पर जोर है ऐसे में स्वाभाविक है कि कई बच्चे ‘एनएपीएलएएन के दबाव’ में आ जाएं।
हम सलाह देते हैं कि दिन को भयावह बनाने के बजाय रोमांचक बनाने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए, परीक्षा के दिन आप एक विशेष एनएपीएलएएन नाश्ते की योजना बना सकते हैं।
3. बच्चे के साथ काम करें
कोविड के दौरान कई परिवारों ने बच्चों को पढ़ाने का तनाव महसूस किया (माता या पिता को अचानक ‘शिक्षक’ की भूमिका निभानी पड़ी)। ऐसे में माता-पिता अपने बच्चों को पढ़ने या गृहकार्य करने के लिये अकेले छोड़ने की सोच सकते हैं। लेकिन इससे गणित को लेकर चिंता दूर करने में मदद नहीं मिलने वाली।
माता-पिता के लिए छोटे बच्चों के साथ अध्ययन करने और बड़े बच्चों द्वारा पूरा किए जा रहे काम में रुचि दिखाना एक अधिक लाभकारी दृष्टिकोण है। किशोरवय बच्चे हो सकता है पहली बार में सहयोग न करें, लेकिन उन्हें स्पष्ट करें कि आप उनके बारे में कोई राय बनाने के लिये नहीं आए हैं, बल्कि इसलिए उनके पास हैं कि जरूरत पड़ने पर वे मदद ले सकें।
यह दृष्टिकोण बच्चे को दिखाता है कि उनके माता-पिता उनके काम से जुड़े हुए हैं और उनकी सीखने की क्षमता के बारे में सकारात्मक हैं।
जैसे-जैसे परीक्षा का दिन निकट आ रहा है, परिवारों को एनएपीएलएएन के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। सफलताओं और सकारात्मक अनुभवों का जश्न मनाने पर केंद्रित तैयारी छात्रों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।