भारत ने दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में छिड़ी वर्चस्व की लड़ाई को इसका आंतरिक मामला बताया

डीएन ब्यूरो

दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में तालिबान द्वारा एक नया राजनयिक नियुक्त किये जाने के बाद छिड़ी वर्चस्व की लड़ाई पर भारत ने शुक्रवार को कहा कि यह दूतावास का एक ‘आंतरिक मामला’ है।

अफगान (फाइल)
अफगान (फाइल)


नई दिल्ली: दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में तालिबान द्वारा एक नया राजनयिक नियुक्त किये जाने के बाद छिड़ी वर्चस्व की लड़ाई पर भारत ने शुक्रवार को कहा कि यह दूतावास का एक ‘आंतरिक मामला’ है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस मुद्दे पर पूछे गये एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘हमारे दृष्टिकोण से यह अफगान दूतावास का एक आंतरिक मामला है और हमें उम्मीद है कि वे आंतरिक स्तर पर इसका हल कर लेंगे।’’

पूर्ववर्ती अशरफ गनी सरकार द्वारा नियुक्त किये गये राजूदत फरीद मामुन्दजय अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान के आने के बाद भी अफगान दूत के रूप में सेवा देते रहे।

हालांकि, अप्रैल में तालिबान ने कादिर शाह को मिशन का नया प्रमुख नियुक्त किया। शाह 2020 से अफगान दूतावास में व्यापार दूत के रूप में सेवा दे रहे थे।

सूत्रों ने बताया कि मामुन्दजय जब भारत से बाहर की यात्रा पर थे, तभी शाह ने पिछले महीने प्रभारी राजदूत के तौर पर दूतावास का प्रभाार संभालने की कोशिश की, लेकिन मिशन में सेवारत अन्य राजनयिकों ने उनके प्रयास को रोक दिया।

अफगान दूतावास ने 15 मई को कहा था कि शाह को मौजूदा राजदूत मामुन्दजय की जगह तालिबान द्वारा मिशन का प्रभारी राजदूत नियुक्त किये जाने की खबरों के बाद इसके (दूतावास के) नेतृत्व में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

मामुन्दजय के नेतृत्व वाले दूतावास ने एक बयान में कहा था, ‘‘इस्लामी गणराज्य अफगानिस्तान के दूतावास ने नयी दिल्ली स्थित मिशन का प्रभार तालिबान की ओर से संभाल लेने संबंधी एक व्यक्ति के दावे को सिरे से खारिज करता है।’’

सूत्रों ने बताया कि मामुन्दजय जब भारत से बाहर की यात्रा पर थे, तभी शाह ने विदेश मंत्रालय को एक पत्र लिखकर उन्हें (शाह) को (प्रभारी राजूदत के रूप में) मान्यता देने का अनुरोध किया था।

पिछले साल जून में भारत ने अफगानिस्तान की राजधानी में अपनी एक ‘तकनीकी टीम’ तैनात कर काबुल में अपनी राजनयिक मौजूदगी को पुन:स्थापित किया था।

समझा जाता है कि तालिबान ने कई मौकों पर नयी दिल्ली को बताया है कि भारत में स्थित अफगान दूतावास के राजनयिक अब काबुल का प्रतिनिधित्व नहीं करते और पिछले दो वर्षों में दूतावास से राजदूत को हटाने के लिए करीब 14 बार प्रयास किये गये।

 










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