Opinion: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नायकत्व

प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्य-प्रदेश के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी का वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर पढ़ें ये लेख:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो)


आज हम जिस दौर में रह रहे हैं उसे संशय, अनिश्चितता और आपदा जनित गंभीर स्थिति का दौर कहते हैं, महामारी का दौर कहते हैं। इसमें  आजीविका, आवागमन, उत्पादन सभी बाधित हो गए हैं। आस्था के केन्द्र प्रभावित हुए हैं। भारत जैसे राष्ट्र को ऊंचाइयों पर ले जाना, यहाँ की विपुल जनसंख्या और विपुल जनसंपदा को सुरक्षित और संरक्षित रखना तथा सामयिक संदर्भों में सभी को शांतिपूर्ण, निष्कण्टक और अबाधित जीवनयापन का अवसर प्रदान करना एक सफल और कुशल नायक का लक्ष्य भी होता है, दायित्व भी होता है और कर्तव्य भी होता है। 

हम उस दौर में हैं जहाँ माननीय प्रधानमंत्री मोदी जैसा राष्ट्र नायक है। पिछले सात वर्षों में राष्ट्र ने जिस त्वरित गति से विकास किया है, वैसा अब तक किसी भी देश में देखने को नहीं मिला है। हम कह सकते हैं कि 7 वर्ष में हमने जो मुकाम हासिल किए हैं उसे हम आधार से शिखर तक पहुंचने का मुकाम कह सकते हैं। विगत सात वर्ष के पूर्व भी बहुत सारे निर्णायक मोड़ आए, बहुत सारा विकास भी हुआ लेकिन विकास की नई ईबारत लिखने का जो काम मोदी जी ने किया है वह अन्यथा संभव नहीं था।

हाल के दिनों में, महीनों में और वर्षों में हम एक विचित्र स्थिति में हैं। चिंताग्रस्त है, द्विविधाग्रस्त हैं, संशयग्रस्त है। पूरी दुनिया जहां तबाही की ओर बढ़ चली थी और अभी भी तबाही का मंजर पूरी दुनिया में दिख रहा है, वहाँ भारत को सुरक्षित रखना, लोगों में संबल पैदा करना, आत्मबल पैदा करना और यह विश्वास पैदा करना कि कठिनाई के झोंके आते हैं, जाते हैं और हम भारतीय खड़े होते हैं तो खड़े हो जाते हैं। यह भाव भरने का काम मोदी जी ने किया। यह काम वही कर सकते हैं क्योंकि वह सदैव अग्रिम मोर्चे पर खड़ा कर नेतृत्व प्रदान करते है, सही दिशा में ले चलते है। 

वस्तुतः आपदा काल अपेक्षाओं और आवश्यकताओं की अभिव्यक्ति का काल होता है। यह विभिन्न प्रकार के विभेदों के ऊपर उठकर आपदा के निवारण हेतु राष्ट्रीय अभियान में सम्मिलित होने और सहयोग करने का काल होता है। यह आलोचना का काल नहीं होता। इतिहास द्योतक है कि आपदाएं और महामारी कभी बताकर नहीं आतीं। इनका क्या स्वरुप होगा, इनकी व्याप्ति किस तरह से होगी, यह कुछ भी निश्चित नहीं होता। ऐसा विश्व मानवता ने देखा है और हम देख रहे हैं। 

कोविड-19 के दौर में पूरी दुनिया स्तंभित रह गई। कोरोना नामक अदृश्य विषाणु ने पूरी मानवता को त्रस्त कर दिया। कैसे यह अदृश्य विषाणु दुनिया के सभी देशो में पहुंच गया और इसने कितनी तबाही मचाई यह स्पष्टता देखा जा रहा हैं। जब इसकी पहली लहर भारत में आई थी तो मोदी जी ने नायक का वह स्वरूप प्रदर्शित किया जिसे दूरदर्शी नायक कहते हैं। दूरगामी प्रभाव डालने का निर्णय लेने वाला नेतृत्व कहते हैं। उन्होंने दूर तक की सोच लिया कि यह विषाणु भारत के लिए कितना कष्ट प्रदान कर सकता है। 

हमारी आबादी का कितना महत्वपूर्ण हिस्सा प्रभावित हो सकता और इस हिस्से में कितने महत्वपूर्ण लोग हमसे बिछड़ सकते हैं और बिछड़े भी, इसलिए वैश्विक परिदृश्य का अवलोकन कर शुरू में ही वह चैतन्य हो गये। पूरी दुनिया में सहयोग और संबल प्रदान करने का कार्य उन्होंने किया। कई उपाय उन्होंने किए। उपायों का जो सबसे पहला पक्ष था वह कोरोना के विरुद्ध अभियान में जनसहभागिता सुनिश्चित करना था। यह कोई दूरदर्शी और दृढ़निश्चयी नायक ही कर सकता है। अपने अभियान में उन्होंने जनसहभागिता को सुनिश्चित कर लिया। इसीलिए भले ही जो नाम दिए गए-ताली बजाना, दीप जलाना, शंख बजाना, यह सब जनसमूह द्वारा कोरोना के अग्रिम मोर्चे पर संघर्ष कर रहे कोरोना वीरो (कोरोना वारियर्स) यथा-चिकित्सक, सहयोगी मेडिकल स्टाॅफ, सैन्य बल, पुलिस बल, प्रहरीगण एवं सेवा प्रदाता समूह सभी के लिए सम्मान भाव व्यक्त करने के लिए, उत्साहवर्धन के लिए था। ऐसा करके उन्होंने जन-जागृति पैदा करने का काम किया। यह इतिहास में अद्वितीय उदाहरण है, ऐसा कम देखने को मिलता है। इसके माध्यम से सभी लोग चैतन्य हो गए और इस अदृश्य विषाणु से बचाव के जो भी निर्देश उनके द्वारा आए यथा 2 गज की दूरी जरूरी है, मास्क लगाना जरूरी है, सैनिटाइजर से हाथ धोना जरूरी है, घर में ही रह कर अपने दायित्व का निर्वन करना है, इन सबका विधिवत अनुपालन हुआ। 

कोरोना काल में पूरी दुनिया में एक नई कार्य संस्कृति उत्पन्न हुई है जिसे ’घर से ही कार्य करना’ (वर्क फ्राॅम होम) कहते हैं। मोदी जी ने इसके लिए भी निर्देशित किया। फलतः शिक्षण संस्थान हांे, औद्योगिक आस्थान हों, व्यवस्था के केंद्र हों अथवा विपणन के केंद्र हों सब जगह इसका अनुपालन हुआ। मोदी जी और उनकी पूरी टीम मोर्चे पर आगे खड़ी रही और उसका परिणाम यह हुआ कि दुनिया में किसी एक राष्ट्र में अगर न्यूनतम क्षति हुई तो वह भारत था। ऐसा मोदी जी के नेतृत्व के कारण ही संभव हुआ।

आपदा में यह तय नहीं होता है कि इसका स्वरूप क्या होगा। इस आपदा की कोई दूसरी लहर आने वाली है तो उसका स्वरूप क्या होगा। आपदा जब आती है तो तत्काल उससे निपटने के लिए उपाय किए जाते हैं। सागर में तूफान आता है तो उसके बारे में पूर्वानुमान हो जाता है, लेकिन महामारी की भयावहता का अनुमान नहीं होता है। उसके प्रकोप के विस्तार का अनुमान नहीं होता। इसलिए जब आपदा आती है तो उसके सापेक्ष तैयारी होती है, क्रमॅश अपेक्षित तैयारियां हो जाती हैं। तात्कालिक वैश्विक संदर्भों में प्रथम चरण के अनन्तर राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन हुआ। इसकी आवश्यकता थी। इसका स्पष्ट संदेश था, संकेत था कि इसके माध्यम से इस विषाणु को रोका जाए और इसमें सहायता मिली। कोरोना काल के प्रतिबन्धों से निश्चय ही आर्थिक गतिविधियां, सामाजिक गतिविधियां, सांस्कृतिक गतिविधियां पूरे देश में एक समान बाधित हुईं, लेकिन विषाणु को निष्प्रभावी करने का यही उपाय था।  

कोरोना की दूसरी लहर का अंदेशा था। इसलिए मोदी जी सतर्क करते रहे कि राष्ट्रीय स्तर पर तो लॉकडाउन नहीं होगा। राज्यों के भी अपने दायित्व हैं। इस देश के लोगों की अपनी स्वयं की समझदारी है। इसलिए सतर्कता बहुत ज्यादा जरूरी हैं। राज्यों और लोगों को वह निरंतर सजग करते रहे, सतर्क करते रहे, सक्रिय करते रहे और समर्थ बनने का आवाहन करते रहे ताकि हम लोग स्वयं खड़े हो जाएं और इस अदृश्य विषाणु का मुकाबला करें और अपने जीवन को सुरक्षित रखें। 

पहले दौर में हमारे पास वेंटिलेटर का अभाव था। हॉस्पिटल में बिस्तरों का अभाव था। मोदी जी ने तुरंत उसकी तैयारी करवाई। आज की तारीख में हमें बाहर से वेंटिलेटर नहीं लेना है, अस्पताल में व्यवस्था करने के लिए संसाधन कहीं बाहर से नहीं लेना है। यह मोदी जी के नेतृत्व की ही कुशलता थी, लेकिन स्वास्थ्य संबंधी अपेक्षाएं और आवश्यकताएं कब बदल जाएंगी और बढ़ जाएंगी इसके बारे में कोई कह नहीं सकता। फिर भी तैयारियों में कोई भी कमी नहीं थी। कोरोना से बचाव का सबसे पहले टीका (वैक्सीन) भी भारत में बना और वैश्विक सहयोग हेतु इसकी आपूर्ति अन्य देशों को भी की गई। टीकाकरण का अभियान देश में आरंभ हुआ। अब इसकी गति और भी तेज हो गई है। कोरोना से बचने का यह अत्यन्त कारगर उपाय है।       

जब दूसरी लहर आई तो उसने अचानक भयावह रूप ले लिया। संक्रमण घातक होने लगा और चिकित्सालयों में इस व्याधि से ग्रस्त लोगों की भीड़ बढ़ गई। बहुत सारे चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी भी इसकी चपेट में आ गए। इस दौर में जो सबसे ज्यादा आवश्यकता थी, वह ऑक्सीजन की थी। प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है। हमारे यहां औद्योगिक संस्थानों के पास पर्याप्त ऑक्सीजन सिलेंडर रहे। चिकित्सालयों के लिए जो ऑक्सीजन सिलेंडर हैं इनकी कमी पड़ सकती है, कभी ऐसा सोचा नहीं गया था। ऐसे में मोदी जी ने उच्च स्तर की बैठकों के माध्यम से, राज्यों के साथ संवाद, संपर्क और समन्वय के माध्यम से, इस समस्या से निजात के लिए लगातार प्रयास किया।

यह मोदी की वैश्विक धरातल पर छवि, स्वीकृति और मान्यता है कि ऐसे अवसर पर इस घड़ी में दुनिया के सभी प्रमुख राष्ट्र भारत के साथ खड़े हो गये। पहली लहर में मोदी जी के संरक्षण में देश में बनी कोविशील्ड, कोवेक्सिन की हिंदुस्तान से बाहर भी बृहद मांग है। अब दुनिया के प्रमुख देशों में निर्मित वैक्सीन का उत्पादन भी भारत में होने लगा है। भारत दुनिया का पहला देश है जिसने कोरोना से बचाव के लिए टीका बनाया और कोरोना के निदान के लिए दवा (2DG) भी डी.आर.डी.ओ. के वैज्ञानिकों के सफल प्रयास एवं परिश्रम से तैयार कर लिया है जिससे कोरोना संक्रमित मरीज तेजी से ठीक हो रहे हैं।  

द्वितीय लहर अचानक विस्फोटक हो गई। इस विस्फोटक स्थिति में कुशल नायक वह होता है जो अविचल होता है, निडर होता है, समर्पित होता है, सक्रिय होता है और कर्मपथ पर दृढ़तापूर्वक चलता रहता है। मोदी जी ने कुछ कहा नहीं और अविचल रहकर, निडर रहकर, संवेदनशीलता की पराकाष्ठा पर खड़े होकर उन्होंने इसके समाधान का यत्न किया। एक स्लोगन है ‘युद्ध स्तर पर तैयारी करना‘। हम सभी ने देखा कि किस तरह विभिन्न मोर्चों पर इसकी तैयारी की गई। हमारे सैन्य बल इस कार्य में लगे चाहे वे थल सेना के जवान हो, नौसेना के पोत हों, वायुसेना के विमान हों, औद्योगिक संस्थान हों, रेलवे हो, इन सभी ने ऑक्सीजन सिलेंडर को सुलभ कराने के अभियान को सफल बनाने में सक्रिय योगदान किया। वैक्सीन का उत्पादन बढ़ा। फिर भी यह सब जो भयावहता की स्थिति मौजूद थी उसके निराकरण के लिए पर्याप्त नहीं था। ऐसे समय में दुनिया के विभिन्न देशों से ऑक्सीजन सिलेंडर आए। अमेरिका रूस, फ्रांस, जर्मनी, इजराइल ये सब देश कंधे से कंधा मिलाकर भारत के साथ खड़े हो गये। खाड़ी के देश भी हमारे साथ खड़े हुए। सभी कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगे जापान, दक्षिण अफ्रीका, सभी हमारे साथ चले। दुनिया की जितनी महत्वपूर्ण शक्तियां हैं सब हमारे साथ खड़ी हुईं और एक माह के अंदर ही हमारे पास पर्याप्त संसाधन हो गए। हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी नहीं रही। दवाईयों की कमी नहीं रही। बिस्तर की कमी नहीं रही। 10 से लेकर 15 दिन के अंदर विभिन्न स्तरों पर नए-नए हॉस्पिटल तैयार हो गए। कोविड सेंटर तैयार हो गए। सुरक्षा के संबंध में प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान डी.आर.डी.ओ. ने कोरोना से निदान हेतु अचूक औषधि तैयार कर दी-टूडीजी। दुनिया की पहली अचूक औषधि है। कोरोना संक्रमण के विरुद्ध इस काल में कितना तेजी से कार्य हुआ। 

काश्मीर से लेकर केरल तक, गुजरात से लेकर पूर्वाेत्तर के राज्यों तक सब जगह कोरोना का प्रकोप बढ़ा लेकिन उसी तेजी से, उसकी समान गति से साधन भी सुलभ कराए गए। संकट की घड़ी में उपयोगी एवं आवश्यक संसाधन सुलभ कराना ये मोदी जैसे नायक का ही काम हो सकता है। लोकतंत्र में निर्वाचन प्रमुख पर्व होता है। ऐसे काल में बंगाल, केरल, पांडिचेरी जैसे स्थलों पर निर्वाचन की प्रक्रिया भी पूरी की। उत्तर प्रदेश में पंचायतीराज व्यवस्था के लिए निर्वाचन हुआ। यह बिहार में भी होना था। कई प्रदेशों में सांसद/विधायक के रिक्त स्थानों पर चुनाव होने थे। उन्हें रोकने पर। इसे लोकतंत्र के प्रतिकूल आचरण माना जाता। 

सामयिक संदर्भों में अकारण, अतार्किक, असंगत, अनावश्यक अमात्य और निराधार आलोचना एक प्रमुख राजनीतिक धर्म बन गया है। जो कुछ नहीं कर सकता वह आसानी से आलोचना कर ही सकता है। नायक वह होता है जो आलोचनाओं की परवाह ना करें। अपना धैर्य बनाए रखें। अपने ध्येय पर निरंतर बढ़त रहें। ’मोदी जी ऐसे ही विलक्षण नायक’ हैं। उन्होंने किसी आलोचना का जवाब नहीं दिया। उनका ध्येय है, हमारी जनसंख्या, हमारी आबादी सुरक्षित रहे किसी भी प्रकार से अरक्षित ना होने पाए। युवा एवं भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ किसी भी प्रकार का समझौता न होने पाए। इनके स्वास्थ्य संरक्षण की तैयारी में किसी भी प्रकार की शिथिलता न होने पाए। कोरोना का कोई भी वैरिएंट या फेज़ आए, वह प्रभावी न होने पाए। 

कोरोनाकाल में भी चीन की सीमा पर हमारी तैयारियों में कमी नहीं आई है। यह विषाणु चीन से आया है, इसमें कोई संशय नहीं है। कुशल नेतृत्व क्षमता के धनी मोदी जी यह बताने में हमेशा सफल रहे कि हम कोरोना का भी सामना करेंगे और अगर सीमा पर हलचल हुई तो उसका भी ठीक से समाधान करेंगे। एक तरफ चीन की सीमा पर लद्दाख में हम मजबूती से खड़े रहे। चीन को पीछे हटने के लिए विवश किया। वहीं मोदी जी के नेतृत्व में कोरोना को भी नियंत्रित करने में पूरा देश सफल रहा। हम कभी सोच सकते थे कि क्या कश्मीर का मसला, धारा-370, सीएए, ट्रिपल तलाक, यह सब आसानी से हल हो जाएंगे? राम जन्मभूमि का दीर्घकाल से लंबित विवाद का हल सहज नहीं था।  जिस नायक के नेतृत्व में यह मसले अत्यन्त सहजता से हल हुए, उस नायक को इस दौर का महानायक कहने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए और इसमें कोई संदेह भी नहीं है। स्वातंत्रोत्तर भारत के अभी तक के राजनेताओं में जितनी अपेक्षाएं मोदी जी से हैं और जितना भरोसा मोदी जी पर उतना कभी किसी राजनेता पर नहीं रहा। 

मोदी जी ने जिस कुशलता से लंबित मुद्दों को हल किया वह हम सब जानते हैं। अभी भी कॉमन सिविल कोड जैसे कुछ मसले हैं जो मोदी जी ही हल करेंगे। यह उन्हीं के द्वारा तैयार होगा उन्हीं के नेतृत्व में। पाक अधिकृत कश्मीर की वापसी, चीन अधिकृत अक्साई चिन की वापसी, यह सब मोदी जी के ही नेतृत्व में होना है। सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता भी मोदी जी के ही नेतृत्व में ही सुनिश्चित होगी। सुरक्षा के जो आधुनिक आयाम हैं उन सभी का परिष्कृत स्वरूप भी भारत में तैयार होगा। यह मोदी जी जैसे विलक्षण नेतृत्व द्वारा ही संभव होगा।

एक अच्छे नायक के जितने सद्गुण हो सकते हैं, वह सब मोदी जी में हैं। सहानुभूति, निष्काम कर्म, आत्ममंथन, भीतरी सजगता, निडरता, धीरता, गंभीरता, संवेदनशीलता, अडिकता, निर्भयता, सहजता, यह सब मोदी जी में है। अतिशय सक्रियता, अतिशय भावुकता, लेकिन भावुकता में कभी मोदी जी के कदम लड़खड़ाए नहीं। यह एक विलक्षण नेता का व्यक्तित्व होता है जो मोदी जी में है। आलोचनाओं की परवाह किए बिना वह निरंतर लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने अभियान में लगे रहें। उनका हर अभियान सफल रहा और आगे भी सफल होता रहेगा। 

इस बीच ‘जहां बीमार वहीं उपचार‘ जैसी बात करके सभी लोगों को उन्होंने आश्वस्त किया। ग्रामीण अंचल के हों, या नागरी अंचल के हों सब जगह स्वास्थ्य की सुविधाएं मिलेंगी। आज के दौर में स्वास्थ्य की सुविधाओं को त्वरित गति से पहुंचा देना आसान काम नहीं है। चिकित्सकों में भी उन्होंने उत्साह भरा, उर्जा भरी। सदैव कहते रहते हैं आप तो देव दूत की तरह काम कर रहे हैं। जो इस पूरी प्रक्रिया में लगे रहे उनका मनोबल बढ़ाया और साथ ही जो संक्रमित हुए हैं उनका आत्मबल बढ़ाया कि आप इस बीमारी से मुक्त होंगे, भारत इस संक्रमण से मुक्त होगा और हम दुनिया को दिशा देंगे। हम पुनः उस दौर में आ गए हैं जब कोरोना की अचूक दवा भारत के पास है। वैक्सीनेशन की जितनी कोटियां हैं सब भारत तैयार कर रहा है और बहुत शीघ्र ही जैसे पोलियो का समापन इस देश से हो गया, उसका निर्मूलन इस देश से हो गया, उसका उन्मूलन इस देश से हो गया उसी तरह इस अदृश्य कोरोना विषाणु को भी निष्प्रभावी बनाने में हम सफल होंगे। 

मोदी जी ने आश्चर्यजनक तरीके से महामारी जनित स्थितियों को संभाला है। उन्होंने राज्यों को संबल प्रदान किया, देश की आर्थिक स्थिति को संभाला। अब जो काम होने हैं उसमें प्रमुख हैं- बेरोजगारी का उन्मूलन, मंहगाई पर नियंत्रण, उन्नत कृषि और कृषि उपज के विपणन द्वारा किसानों को समृ़द्ध करना तथा गांवों का सम्यक विकास करके गांव शहर की दूरी कम करना, जिससे अन्नदाता खुशहाल रहे। आर्थिक विकास दर में वृद्धि स्थानीय स्तर पर उत्पादन और रोजगार की व्यवस्था और फलतः आत्मनिर्भर भारत की रचना करना। हमारी कृषि बहुत कुछ प्रकृति आधारित रही है। अब उसे प्रकृति के साथ-साथ स्वयं के संसाधनों से सुसज्जित करना यह मोदी जी का ध्येय है। सैन्य बल को दुनिया का श्रेष्ठतम सैन्य बल बना देना यह मोदी जी का ध्येय है। अपनी सुरक्षा को भलीभांति व्यवस्थित कर देना मोदी जी का संकल्प है। एक ऐसा संकल्प कि भारत स्वच्छ, संपन्न, समर्थ राष्ट्र बने। नई शिक्षा नीति द्वारा शिक्षा क्षेत्र में बहुआयामी परिवर्तन से भारत ज्ञान की दुनिया का महानतम राष्ट्र बने यह उनका ध्येय है। देश के शिक्षण संस्थान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थान बनें, यह उनका ध्येय है। शिक्षा सबको प्राप्त हो, सभी गरीबों को पर्याप्त एवं निःशुल्क अन्न मिले। इस देश में सबके लिए स्थान हो, सबके लिए सम्मान हो और सब की पहचान हो यह मोदी जी का ध्येय है। इस ध्येय को पूरा करने में वह निश्चय ही सफल होंगे। ऐसे नायक बहुत कम मिलते हैं जिनके पास दूरदृष्टि होती है, जिनके पास दृढ़ संकल्प होता है, जिनके पास अद्भुत आंतरिक शक्ति होती है और जिनके ऊपर दैवीय कृपा होती है। मोदी जी ऐसे ही नायक हैं। 

ऐसे दौर में जहां पूरी दुनिया हिल चुकी है, एक राष्ट्र के सभी निवासियों का यह दायित्व होता है कि अपने नायक के साथ खड़े हो जाएं। नायक के साथ खड़े होने से नायक की शक्ति बहुत बढ़ जाती है, असीमित हो जाती है और यह असीमित शक्ति केवल और केवल लोकहित के लिए होती है, राष्ट्रहित के लिए होती है, जनहित के लिए होती है। मोदी जी इसे विधिवत् जानते भी हैं और मानते भी हैं। वह राजनीति से बहुत ऊपर राष्ट्रनीति का पालन करते है जिसका ध्येय होता है राष्ट्र का समग्र कल्याण। 

उनके पास गृहनीति, कूटनीति, शिक्षानीति, आर्थिक नीति, औद्योगिक नीति का एक बहुत बड़ा ज्ञानकोश है जिसके माध्यम से वह भारत को दुनिया का निश्चय ही महानतम राष्ट्र बनाने में सफल होंगे। आतंकवाद पर लगाम लगा देना, नक्सलवाद जैसी आंतरिक समस्या को निर्मूलित करने का कार्य यह सब उन्हीं के समय में होगा। आतंकवाद छिटपुट घुसपैठियों के चलते कश्मीर के कुछ गांव तक सीमित रह गया है। इसी तरह नक्सलवाद भी कुछ अंचलों तक सीमित रह गया है। कभी कहा जाता था कि जो ‘रेड कॉरिडोर‘(लाल गलियारा) पशुपति से तिरुपति तक पहुंचेगा। अब ऐसा नहीं है इसका क्षेत्र अब न्यूनतम होता जा रहा है। बहुत शीघ्र ही इसका क्षेत्र भी दिखलाई नहीं देगा। हिंदुस्तान में आतंकवाद और नक्सलवाद इतिहास का विषय बन जाएंगे। 

मोदी जी देश हर प्रकार से सह-अस्तित्व के लिए खड़े हैं। मनुष्य-मनुष्य के बीच में कोई भेद नहीं होना चाहिए। मनुष्य प्रकृति के बीच में भी समन्वय संतुलन स्थापित होना चाहिए। यह सह-अस्तित्व सभी प्राणियों और जीवधारियों के लिए है, वानस्पतिक जगत के लिए भी है। हमें ध्यान रखना चाहिए हमारी सरिताएं जो राष्ट्र जीवनधारा भी होती हैं सुरक्षित रहें, अरण्य क्षेत्र जो प्राणवायु के शाश्वत श्रोत हैं सुरक्षित रहें। गंगा की स्वच्छता का अभियान, नर्मदा की स्वच्छता का अभियान इस देश की सभी नदियों की स्वच्छता का अभियान आरंभ हो चुका है। पर्यावरण शुद्ध रहेगा तो हमारा विचार शुद्ध होगा, शुद्ध अन्न मिलेगा। शुद्ध मन और विचार से राष्ट्र का निर्माण होगा और यह देश भारत जहाँ आने के लिए और रहने के लिए देवता तरसते हैं, पुनः अपनी उन्नति के शिखर पर होगा। ऐसे राष्ट्र की रचना में मोदी जी लगे हुए हैं। ऐसे राष्ट्र नायकों के कारण ही, हमारी सनातन परंपराओं के कारण ही, समृद्ध संस्कृति के कारण ही और समयसिद्ध मानवीय मूल्यों के कारण ही इस राष्ट्र की हस्ती निरंतर बढ़ती रहेगी और इस हस्ती को बढ़ाने का श्रेय आज के दौर में मोदी जैसे महानायक को है।
 










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