गुजरात: थप्पड़ मारने के आरोप में पुलिस ने दलित को चटाया जूता!

डीएन ब्यूरो

अभी भीमा-कोरेगांव का मामला खत्म नहीं हुआ है कि गुजरात से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। यहां कथित रुप से डीसीपी सहित 15 कर्मियों द्वारा दलित युवक से जूता चटाए जाने का मामला सामने आया है। हालांकि पुलिस इस मामले से इंकार कर रही है और डिफेंसिव मोड में आ गई है। इस घटना में एक पुलिसवाले को भी गिरफ्तार किया गया है।

पीडित हर्षद जादव
पीडित हर्षद जादव


अहमदाबाद: यहां के अमरायवादी क्षेत्र से एक हैरान करने वाली खबर सामने आयी है। यहां कथित रुप से डीसीपी सहित 15 कर्मियों पर दलित युवक को जूता चटाए जाने का आरोप लगा है। हालांकि पुलिस इस मामले से इंकार कर रही है और काफी डिफेंसिव मोड में है। लेकिन घटना सामने आने के बाद एक पुलिसवाले की गिरफ्तारी के भी आदेश दिये गये है। पुलिस का आरोप है कि युवक ने पुलिस वालों के साथ मारपीट की।

राजधानी अहमदाबाद के अमरायवादी क्षेत्र में रहने वाले हर्षद जादव (38) नाम के एक दलित युवक ने डीसीपी समेत पुलिस वालों पर आरोप लगाया है कि 15 पुलिस कर्मियों ने उसके साथ न केवल मारपीट की बल्कि उसे जूते चाटने पर भी मजबूर किया गया। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस मामले में एक पुलिस कांस्टेबल को गिरफ्तार किया गया है।

पीड़ित की पत्नी से भी मारपीट 

इस मामले में पीड़ित दलित हर्ष जाटव का कहना है कि 29 दिसबंर को बाहर चिल्लाने की आवाज सुनकर मैं घर से बाहर निकला। बाहर बहुत से पुलिसकर्मी और भीड़ जमा थी। इस दौरान मेरे पास खड़े एक शख्स ने भीड़ होने की वजह से पूछी। इसके तुरंत बाद उसने मुझे थप्पड़ मार दिया। मैंने भी जवाब में मारपीट की। इसके बाद वह एक डंडा लाया और मुझे पीटने लगा। शख्स कह रहा था कि वह एक पुलिसकर्मी है। इस पर मेरी पत्नी मदद के लिए आयी तो उसके साथ भी मारपीट की गई।

पुलिस से मारपीट करने का आरोप

मामला सामने आने के बाद दलित समुदाय ने इसका बड़ा पैमाने पर विरोध किया, जहां एससी और एसटी एक्ट के तहत एक सिपाही को गिरफ्तार किया गया है। इस घटना को लेकर डीसीपी हिमकर सिंह का कहना है कि हर्षद जादव (38) को एक पुलिसकर्मी से मारपीट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। 

दो दिनों तक चुप रहा युवक

इस मामले में डीसीपी गिरीश पंड्या ने हर्षद के देरी से लगाए गए आरोप पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि शिकायत करने वाले को एक सिपाही पर हमले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 29 दिसंबर को जब उसे कोर्ट में पेश किया गया, तब उसने जज के सामने इस बारे में कुछ क्यों नहीं कहा था। उसके बाद भी वह दो दिनों तक चुप रहा था।

विपक्ष बन सकता हमलावर

यह मामला ऐसे वक्त में सामने आया है, जब कथित रुप से दलित उत्पीड़न पर पूरा महाराष्ट्र भड़का हुआ है। यह मामला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के गुजरात का है। ऐसे में विपक्ष इसे भी मुद्दा बनाकर हमलावर हो सकती है। 

 










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