गुजरात: पूर्व आईएएस अधिकारी सरकारी अनुदान में घोटाला मामले में गिरफ्तार

डीएन ब्यूरो

गुजरात कैडर के एक पूर्व आईएएस अधिकारी को दाहोद जिले में एक घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें ठगों ने ‘‘सिंचाई-संबंधित परियोजनाएं’’ लागू करने के लिए फर्जी कार्यालयों के माध्यम से कथित रूप से 18.59 करोड़ रुपये का सरकारी अनुदान हासिल कर लिया था। यह जानकारी पुलिस ने मंगलवार को दी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

पूर्व आईएएस अधिकारी सरकारी अनुदान में घोटाला मामले में गिरफ्तार
पूर्व आईएएस अधिकारी सरकारी अनुदान में घोटाला मामले में गिरफ्तार


दाहोद:  गुजरात कैडर के एक पूर्व आईएएस अधिकारी को दाहोद जिले में एक घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें ठगों ने ‘‘सिंचाई-संबंधित परियोजनाएं’’ लागू करने के लिए फर्जी कार्यालयों के माध्यम से कथित रूप से 18.59 करोड़ रुपये का सरकारी अनुदान हासिल कर लिया था। यह जानकारी पुलिस ने मंगलवार को दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक यह घटना ऐसे समय सामने आयी है जब छोटा उदयपुर जिले में करीब एक महीने पहले इसी तरह का एक घोटाला सामने आया था। उसमें सिंचाई परियोजनाओं के लिए अधिशाषी अभियंता का एक फर्जी कार्यालय स्थापित करके सरकारी अनुदान में 4.16 करोड़ रुपये का हेरफेर किया गया था।

पुलिस अधीक्षक राजदीपसिंह जाला ने कहा, ‘‘फरवरी में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले पूर्व आईएएस अधिकारी बी डी निनामा को सोमवार को दाहोद जिला पुलिस ने गिरफ्तार किया। उनपर आरोप है कि जब वह 2019 और 2022 के बीच दाहोद जिले लिए राज्य सरकार की 'जनजातीय क्षेत्र उप योजना' के परियोजना प्रशासक थे तब उन्होंने घोटाले को अंजाम देने में अन्य आरोपियों की मदद की थी।’’

जाला ने कहा कि इससे पहले दाहोद पुलिस ने घोटाले के सरगना संदीप राजपूत और उसके साथी अंकित सुथार को गिरफ्तार किया था।

पुलिस के अनुसार, राजपूत ने कथित तौर पर 100 फर्जी परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए 18.59 करोड़ रुपये का सरकारी अनुदान प्राप्त करने के वास्ते दाहोद में सिंचाई परियोजना प्रभाग के अधिशाषी अभियंता के नाम पर छह फर्जी कार्यालय स्थापित किए थे। पुलिस के अनुसार प्रस्तावों को मंजूरी 2018 और 2022 के बीच दाहोद परियोजना प्रशासक के कार्यालय द्वारा दी गई थी।

जाला ने कहा, ‘‘राजपूत खुद को एक सरकारी अधिकारी के रूप में पेश करता था, बैठकों में भाग लेता था और एक अधिकारी के रूप में दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी करता था। उसके साथी सुथार ने अनुदान प्राप्त करने के लिए उन फर्जी सरकारी कार्यालयों के नाम पर बैंक खाते खोले थे। धोखाधड़ी 2018 से चल रही थी, निनामा ने 2019 से 2022 तक अपने कार्यकाल के दौरान कुल 100 फर्जी प्रस्तावों में से 82 को मंजूरी दी।’’

पिछले महीने, छोटा उदयपुर पुलिस ने राजपूत और उसके साथी एवं एक सरकारी ठेकेदार अबू-बकर सैय्यद को फर्जी कार्यालय स्थापित करके सरकारी अनुदान में से से 4.16 करोड़ रुपये हासिल करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

 










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