छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: ईडी ने आबकारी विभाग के विशेष सचिव को किया गिरफ्तार

डीएन ब्यूरो

प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ में कथित तौर पर दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाला मामले में आबकारी विभाग के विशेष सचिव को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया।

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला (फाइल)
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला (फाइल)


रायपुर: प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ में कथित तौर पर दो हजार करोड़ रुपये के शराब घोटाला मामले में आबकारी विभाग के विशेष सचिव को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया।

ईडी के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने बताया कि विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी को केंद्रीय एजेंसी ने शाम करीब चार बजकर 10 मिनट पर गिरफ्तार किया, जिसके बाद उसे रायपुर में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत में पेश किया गया।

पांडेय ने बताया कि अदालत ने त्रिपाठी को तीन दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है।

उन्होंने बताया कि भारतीय दूरसंचार सेवा के अधिकारी त्रिपाठी आबकारी विभाग में प्रतिनियुक्ति पर हैं और वह छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (जो राज्य में उपभोक्ताओं को सभी प्रकार की शराब, बीयर आदि की खुदरा बिक्री का काम करता है) के प्रबंध निदेशक भी है।

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कथित घोटाले में त्रिपाठी की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर पांडेय ने बताया कि उन्होंने अदालत को सूचित किया है कि तीन भाग में बंटे इस घोटाले में त्रिपाठी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।

उन्होंने बताया कि पहले भाग में चुनिंदा शराब निर्माताओं को लाइसेंस देना और उनसे कमीशन वसूलना शामिल है। जबकि दूसरा भाग एकत्रित कमीशन को बांटने तथा शराब की दुकानों से कैसे कमीशन लिया जाए, से संबंधित है।

उन्होंने कहा कि त्रिपाठी को इस मामले में गिरफ्तार अनवर ढेबर, नितेश पुरोहित और त्रिलोक सिंह ढिल्लों उर्फ पप्पू के साथ 15 मई को अदालत में पेश किया जाएगा।

रायपुर के महापौर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर पिछले हफ्ते इस मामले में एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किए गए पहले व्यक्ति हैं।

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ईडी ने पहले अदालत को बताया था कि मई, 2019 में त्रिपाठी को अनवर के कहने पर सीएसएमसीएल का एमडी बनाया गया था।

ईडी ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ में बेची गई शराब की 'हर बोतल' पर 'अवैध रूप' से धन एकत्रित किया गया और अनवर ढेबर की अगुवाई वाले शराब सिंडिकेट द्वारा 2,000 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार और धनशोधन किए जाने के सबूत एकत्र किये गए हैं।

निदेशालय ने कहा है कि उसने आयकर विभाग की ओर से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी टुटेजा और अन्य के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में दाखिल आरोपपत्र के आधार पर धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था।

 










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