क्या अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि वाकई जेल से छूटने वाले हैं?

डीएन ब्यूरो

2003 में यूपी की राजनीति को हिलाकर रख देने वाले कवियित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में उम्र कैद की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को लेकर इन दिनों कई कयासबाजियां चल रही हैं। कहा जा रहा है कि वे जेल से छूट सकते हैं। पूरे मामले की क्या हकीकत है, इस पर डाइनामाइट न्यूज़ की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट..

अमरमणि त्रिपाठी (फाइल फोटो)
अमरमणि त्रिपाठी (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और महराजगंज जिलों में अपना खास दबदबा रखने वाले पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और इनकी पत्नी मधुमणि को लेकर चर्चाओ का बाजार गर्म है। इन दिनों इलाके के राजनीतिक गलियारे में लोग एक-दूसरे से पूछते दिख रहे हैं कि क्या ये पति-पत्नी जेल से छूटने वाले हैं। इस मामले की पड़ताल जब डाइनामाइट न्यूज़ की इन्वेस्टिगेटिव टीम ने की तो कई चौंकाने वाली जानकारियां हाथ लगीं। 

पूरा मामला

9 मई 2003 को लखनऊ के पेपर मिल कालोनी में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में तत्कालीन मंत्री अमरमणि का नाम उछला और सूबे की सियासत में उस समय भूचाल सा आ गया। मामले में मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा और बाद में सीबीआई जांच में पति और पत्नी दोनों को दोषी ठहराया गया। इस मामले का ट्रायल यूपी से बाहर उत्तराखंड की कोर्ट में चला। अक्तूबर 2007 में ट्रायल कोर्ट ने पति- पत्नी व अन्य दो को दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा सुना दी गयी। नैनीताल हाईकोर्ट ने भी उम्रकैद की सजा को जारी रखने का फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने इन दोनों के अलावा अमरमणि के भतीजे रोहित और करीबी रिश्तेदार संतोष राय की सजा को भी बरकरार रखा। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा लेकिन कभी कोई राहत नही मिली। 

सजा माफी की गुहार

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इसके बाद भाजपा सरकार में त्रिपाठी दंपत्ति ने सजा माफी के लिए शासन में गुहार लगायी। जिस पर राज्य सरकार ने तमाम कानूनी कार्यवाही की। गोरखपुर के एसएसपी ले लेकर, न्याय विभाग और मेडिकल बोर्ड की स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट से लेकर तमाम जरुरी औपचारिकताएं पूरी करते-कराते एक पुख्ता रिपोर्ट तैयार की। डाइनामाइट न्यूज़ को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक बीते दिनों यूपी सरकार ने एक सकारात्मक रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को भेज दी है। दोनों राज्यों और केन्द्र तक भाजपा की ही सरकार है। ऐसे में इस रिपोर्ट पर फैसला होने के बाद त्रिपाठी दंपत्ति की रिहाई का रास्ता साफ होने की उम्मीद जतायी जा रही है। अंदर की खबर ये है कि मधुमणि की तबियत अक्सर खराब रहती है इसके बावजूद उन्होंने जेल के नियमों का हमेशा पालन करते हुए कारागार प्रशासन के साथ हमेशा सहयोगात्मक रवैया बनाये रखा। दोनों करीब 14 साल से जेल में बंद हैं। 

योगी की जमकर मदद की थी अमरमणि ने

बात 2007 की है। तत्कालीन सपा सरकार में 27 जनवरी 2007 को जब गोरखपुर में हुए सांप्रदायिक तनाव के बाद स्थानीय सांसद योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर जेल में बंद किया गया था तब सपा विधायक रहे अमरमणि ने योगी की जमकर मदद की थी और कहा जाता है कि जेल के अंदर कोई भी असुविधा नही होने दी। यहीं से योगी और अमरमणि के बीच राजनीतिक विचारधारा अलग होने के बावजूद मधुर संबंध बने।

इस बीच 2017 में जब 11 मार्च को चुनावी नतीजे आय़े तो अमरमणि के पुत्र अमन ने नौतनवा से निर्दलीय विधायक का चुनाव ऐतिहासिक मतों से जीतने के बाद योगी की शरण में पनाह ली और योगी को अपना नेता बताया। ये दो बड़े कारण हैं जिससे योगी के दिल में मणि परिवार के लिए विशेष जगह बनी। जानकारों की मानें तो योगी को भी उनके गृह मंडल में एक मजबूत जनाधार वाले ब्राम्हण नेता की जरुरत है। यही जरुरत अब एक बड़ी मदद के रुप में सामने आ रही है। 

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रिहाई की प्रबल संभावना

डाइनामाइट न्यूज़ की इन्वेस्टिगेटिव टीम को नई दिल्ली के पुख्ता सूत्रों के इस बात के स्पष्ट संकेत दिये है कि अब त्रिपाठी दंपत्ति की रिहाई में कोई बड़ी अड़चन नही बची है।










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