Google Doodle: कौन थीं महिला पहलवान हमीदा बानो? अपनी शादी को लेकर रखी थी ये शर्त... Google ने दिया सम्मान
गूगल ने भारत की पहली महिला पेशवर पहलवान हमीदा बानो को सम्मानित किया है। उन्होंने पुरुष पहलवानों को कुश्ती लड़ने के लिए ललकारा और शादी के लिए ये शर्त रखी थी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: कुश्ती में अंतर्राष्ट्रीय खिताब जीतकर देश का नाम रोशन करने वाली भारतीय पहलवान हमीदा बानो के सम्मान में Google ने 4 मई को एक डूडल जारी किया है। इन्हें भारत की पहली पेशेवर महिला पहलवानों में माना जाता है।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार गूगल डूडल के विवरण में कहा गया है, “हमीदा बानो अपने समय की अग्रणी थीं और उनकी निडरता को पूरे भारत और दुनिया भर में याद किया जाता है। अपनी खेल उपलब्धियों के साथ, उन्हें हमेशा खुद के प्रति सच्चे रहने के लिए याद किया जाएगा।" 1954 में आज ही के दिन आयोजित कुश्ती मैच में केवल एक मिनट और 34 सेकंड में जीत दर्ज करने के बाद हमीदा बानो को अंतरराष्ट्रीय पर स्तर पहचान मिली थी।
उन्होंने मशहूर बाबा पहलवान को हराया।
यह भी पढ़ें |
बृजभूषण शरण सिंह को लेकर बड़ी खबर, यौन शोषण के मामले में कोर्ट ने तय किये आरोप
इस डूडल को बेंगलुरु स्थित अतिथि कलाकार दिव्या नेगी की ओर से तैयार किया गया है।
यह भी पढ़ें: यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज कीं
हमीदा बानो के नाम अंतरराष्ट्रीय खिताब दर्ज हैं। उन्होंने रूसी पहलवान वेरा चिस्टिलिन के खिलाफ कुश्ती का मैच दो मिनट से भी कम समय में जीत लिया। मुकाबले में जीत के बाद हमीदा बानो मीडिया में छा गईं। उनके आहार और प्रशिक्षण को मीडिया की ओर से व्यापक रूप से कवर किया गया था।
यह भी पढ़ें: बृजभूषण की अर्जी पर कोर्ट ने 26 अप्रैल तक सुरक्षित रखा फैसला
यह भी पढ़ें |
बालासोर ट्रेन दुर्घटना मामले में सीबीआई ने तीन रेलकर्मियों को गिरफ्तार किया
हमीदा का जन्म 1900 के प्रारंभ में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पास हुआ था। 1940 और 1950 के दशक के अपने करियर में बानो ने 300 से अधिक प्रतियोगिताएं जीतीं।
हमीदा बानो को अलीगढ़ का 'अमेजन' भी कहा जाता था। उन्हें अपनी पहलवानी पर इतना भरोसा था कि 1940 और 1950 के दशक में उन्होंने एक बड़ी शर्त रख दी थी। हमीदा बानो ने चुनौती देते हुए कहा था कि दंगल में जो मर्द उन्हें हराएगा वो उन्हीं के साथ शादी करेंगी। 1937 में लाहौर में एक पुरुष पहलवान फिरोज खान के साथ उनका मुकाबला हुआ था। हमीदा ने फिरोज को धूल चटाई थी।