फतेहपुर: हिरासत में लिए गए मामा और भांजे रिहा, पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल
फतेहपुर के खागा कोतवाली क्षेत्र में लगातार हो रही चोरियों के बीच पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज की पूरी खबर

फतेहपुर के खागा कोतवाली क्षेत्र में लगातार हो रही चोरियों के बीच पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गई है। रामनगर इलाके में 25 फरवरी की रात कई घरों में चोरी हुई।
पुलिस ने 26 फरवरी को तीन संदिग्धों ई-रिक्शा चालक संदीप कुमार और उसके दो भांजे सत्यम व सुंदरम को हिरासत में लिया।
परिवार ने लगाए प्रताड़ना के आरोप
पुलिस ने संदीप की पत्नी शीलू को आश्वासन दिया था कि पूछताछ के बाद तीनों को छोड़ दिया जाएगा, लेकिन वे 27 फरवरी तक हिरासत में ही रहे। इस दौरान रामनगर इलाके में फिर चोरी हो गई, जिससे संदीप और उसके भांजों पर शक कमजोर पड़ गया।
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28 फरवरी को जब शीलू फिर थाने पहुंची, तो उसने तीनों को बुरी हालत में देखा। उसने आरोप लगाया कि पुलिस झूठे मामले में फंसाने की कोशिश कर रही है। इसके बाद उसने पुलिस अधीक्षक (एसपी) धवल जायसवाल से मुलाकात कर पूरे मामले से अवगत कराया।
एसपी के आदेश पर तीनों को छोड़ा गया
एसपी के निर्देश पर खागा कोतवाल हेमंत मिश्रा ने 1 मार्च की रात संदीप, सत्यम और सुंदरम को रिहा कर दिया। कोतवाल का कहना है कि तीनों को सिर्फ पूछताछ के लिए बुलाया गया था और प्रताड़ना के आरोप बेबुनियाद हैं।
चोरी के मामलों में बढ़ती लापरवाही
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रामनगर में लगातार हो रही चोरियों से क्षेत्र के लोग डरे हुए हैं। पुलिस अब तक असली आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई है, जिससे जनता में आक्रोश है। इस मामले के बाद पुलिस की जांच प्रक्रिया और कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
शीलू देवी ने बताया कि वह इस मामले को लेकर कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के लिए खागा तहसील में जरूरी दस्तावेज तैयार करवा रही है। वहीं, स्थानीय लोगों ने पुलिस से जल्द से जल्द असली चोरों को पकड़ने की मांग की है।