Farmers Protest: आंदोलन को और तेज धार देने में जुटे किसान, 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान, कांग्रेस का भी समर्थन

डीएन ब्यूरो

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का आंदोलन आज रविवार को 11वें दिन में प्रवेश कर गया है। सरकार से बातचीत फेल होने के बाद किसान अब आंदोलन को और व्यापक बनाने में जुटे हुए हैं। पढिये, डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट



नई दिल्ली: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का आंदोलन आज रविवार को 11वें दिन में प्रवेश कर गया है। किसानों और सरकार के बीच अब 5 राउंड की बातचीत हो चुकी है लेकिन हर बातचीत अब तक पूरी तरह असफल रही। कल शनिवार को विज्ञान भवन में लगभग पांच घंटे तक चली सरकार और किसानों की पांचवी बैठक भी बेनतीजा साबित हुई।

सरकार पर लगातार किसानों का दबाव बनता जा रहा है। कुछ किसान संगठनों 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। किसानों के प्रस्तावित भारत बंद का कांग्रेस ने भी समर्थन किया है।

किसानों के बढते आंदोलन के बीच अब सबकी निगाहें 9 दिसंबर को फिर एक बार सरकार के साथ होने वाली छठवें दौर की बातचीत पर टिकी हुई है।

सरकार से बातचीत के फेल होने के बाद किसानों ने अब अपने आंदोलन को और तेज धार देने का ऐलान किया है। इसके लिये दिल्ली-हरियाणा के बीच स्थित सिंधु बॉर्डर समेत गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर जैसी तमाम सीमाओं पर किसानों की तादात लगातार बढती जा रही है। बुराडी के निरंकारी ग्राउंड में भी कुछ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।

दिल्ली पुलिस ने राजधानी में ट्रैफिक मैनेजमेंट की जानकारी देते हुए कहा है कि कालिंदी कुंज, सूरज कुंड, बदरपुर और आयानगर बॉर्डर दोनों ओर खुला हुआ है। हरियाणा जाने के लिए धंसा, दरौला, कापसेहड़ा, रजोकरी एनएच-8, बिजवासन, पलाम विहार और दुंढेरा बॉर्डर का इस्तेमाल किया जा सकता है.।

पुलिस का कहना है कि सिंधु बॉर्डर, औचंदी, लामपुर, पियाओ मनियारी, मंगेश बॉर्डर बंद है. एनएच-44 दोनों ओर से बंद कर दिया गया है. पुलिस ने कहा है कि लोग अभी सफीबाद, सबोली, एनएच-8, भोपरा, अप्सरा बॉर्डर, और पेरिफेरल एक्सप्रेस वे का इस्तेमाल करें। इसके अलावा नोएडा लिंक रोड पर चिल्ला बॉर्डर को बंद कर दिया गया है. पुलिस के मुताबिक दिल्ली आने के लिए नोएडा लिंक रोड का इस्तेमाल न करें बजाय इसके डीएनडी का इस्तेमाल करें।

बुधवार को होने वाली इस छठवीं दौर की बातचीत में भी यदि कोई नतीजा नहीं निकला, तो संभव है कि दिल्ली और इसकी सीमाओं पर चल रहा किसानों का यह आंदोलन देश भर में फैल सकता है।










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