Farmers Protest: आंदोलनकारी किसान संगठनों ने की बड़ी बैठक, सरकार को दिया ये करारा जबाव, जानिये हर अपडेट
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन आज 31वें दिन भी जारी रहा। किसानों ने आज एक बड़ी बैठक बुलाई, जिसमें सरकार को जबाव दिया गया। पढिये, किसान आंदोलन से जुड़ा ताजा अपडेट
नई दिल्ली: केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। शनिवार को किसानों के आंदोलन को 31वां दिन पूरा हो गया। दिल्ली में कड़ाके के ठंड के बावजूद भी किसान किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं है और वे तीनों नये कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। किसानों ने आज एक बड़ी बैठक कर सरकार की चिट्ठी का जबाव दिया और 31 दिसंबर को सुबह 11 बजे बैठक बुलाने को कहा।
Delhi Police Commissioner SN Shrivastava visits Singhu (Delhi-Haryana border) where farmers' protest against the Centre's #FarmLaws entered 31st day today. pic.twitter.com/OQfiOypI5P
— ANI (@ANI) December 26, 2020
किसानों के जारी आंदोलन के बीच दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव आज शाम को दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पहुंचे, जहां उन्होंने बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने सुरक्षा में तैनात दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों से बातचीत करके कई जानकीरियां भी ली। पुलिस कमिश्नर ने बॉर्डर पर मौजूद अधिकारियों से भी बातचीत की। सिंघु बॉर्डर के बाद पुलिस कमिश्नर टीकरी बॉर्डर भी जाएंगे।
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The first two points in our agenda for talks are- modalities to repeal the three farm laws, and mechanism & procedure to bring law for providing a legal guarantee on MSP (Minimum Support Price): Yogendra Yadav, Swaraj India https://t.co/vUBan9x4y5
— ANI (@ANI) December 26, 2020
शनिवार शाम को संयुक्त किसान मोर्चा ने सिंघु बॉर्डर पर एक बड़ी बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस की। किसान मोर्चा ने कृषि मंत्रालय के सचिव की ओर से भेजे गए पत्र के जवाब में कहा है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार ने पिछली बैठकों के कई अहम तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है।
किसान मोर्चा ने कहा कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे आयोजित की जाए। किसान मोर्चा ने कहा कि हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की। जबकि सरकार ने इसे तोड़मरोड़ कर ऐसे पेश किया, जैसे हमने इन कानूनों में संशोधन की मांग की थी।
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किसानों ने कहा कि अगर सरकार सचमुच हमारी बात सुनना चाहती है तो सबसे पहले वार्ता में हमने क्या मुद्दे कैसे उठाए हैं, इसके बारे में गलतबयानी ना करें और पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें।