Jharkhand: आदिवासी संगठनों के रांची बंद का असर आम जीवन पर, शिक्षण संस्थान भी बंद

डीएन ब्यूरो

रांची में शनिवार को झारखंड पाहन महासंघ सहित विभिन्न आदिवासी संगठन और सरना समिति के सदस्यों द्वारा सरना झंडा कथित रूप से उखाड़ने और जलाने के विरोध में बुलाये गये दिन भर के बंद के चलते आम जीवन प्रभावित हुआ, दुकानें एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान आंशिक रूप से बंद रहे तथा अधिकतर शिक्षण संस्थाओं ने स्वयं छुट्टी रखी।

आदिवासी संगठनों ने किया रांची बंद
आदिवासी संगठनों ने किया रांची बंद


रांची: रांची में शनिवार को झारखंड पाहन महासंघ सहित विभिन्न आदिवासी संगठन और सरना समिति के सदस्यों द्वारा सरना झंडा कथित रूप से उखाड़ने और जलाने के विरोध में बुलाये गये दिन भर के बंद के चलते आम जीवन प्रभावित हुआ, दुकानें एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान आंशिक रूप से बंद रहे तथा अधिकतर शिक्षण संस्थाओं ने स्वयं छुट्टी रखी।

बंद समर्थकों ने अनेक स्थानों पर सड़क पर टायर जलाकर आवागमन को रोक दिया तथा जबरन दुकानें एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद कराये लेकिन पुलिस और सुरक्षा बल ने कोई बल प्रयोग नहीं किया।

यद्यपि आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि शहर के सभी इलाकों में जवानों की तैनाती की गयी है। बंद समर्थक मुख्य रूप से बिरसा चौक, फिरायालाल चौक, करम टोली चौक के इलाके में सुबह ही एकत्रित हुए और उन्होंने टायर जलाकर एवं लकड़ियां एकत्रित कर तथा रस्सी बांधकर मार्ग अवरुद्ध कर दिये।

यह भी पढ़ें | Politics in Jharkhand: हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से गरमाया सियासी माहौल, आदिवासी संगठनों ने किया झारखंड बंद का ऐलान

प्रशासन ने दावा किया कि शहर में 40 मजिस्ट्रेट और 800 पुलिसकर्मियों को बंद समर्थकों से निपटने के लिए तैनात किया गया था।

इस बीच प्रशासन ने मुख्यमंत्री आवास के इर्दगिर्द धारा 144 लागू कर दिया।

बंद समर्थकों का आरोप है कि लालपुर इलाके में करम टोली में आदिवासी जमीन पर लगे सरना झंडा को सरहुल के दिन असामाजिक तत्वों ने उखाड़ दिया था। उसी के विरोध में संगठनों ने बंद का आह्वान किया था।

यह भी पढ़ें | Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता को बताया खतरा, आदिवासी संगठनों ने दिया धरना, जानिये पूरा अपडेट

पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि झंडा उखाड़ने के मामले में पांच लोगों को नामजद कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

रांची में अपर जिला दंडाधिकारी (विधि व्यवस्था) राजेश्वर नाथ आलोक ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने शहर के कुछ हिस्सों में सड़कों को अवरुद्ध कर दिया था। उन्होंने कहा, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी जिसके चलते कहीं से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। उन्होंने बताया कि शहर के विभिन्न इलाकों से लगभग 250 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।

आदिवासी संगठनों ने आरोप लगाया है कि उनकी तरफ से लालपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी, लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है जिसके चलते उन्हें आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ा।










संबंधित समाचार