समाज में बदलाव लाने के लिए शिक्षा सबसे सशक्त माध्यम: धनखड़

डीएन ब्यूरो

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए शिक्षा सबसे सशक्त माध्यम है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि तकनीक को अपनाने में भारतीय प्रतिभा का दुनिया में कोई मुकाबला नहीं है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

उपराष्ट्रपति ने बांसवाड़ा के गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय में
उपराष्ट्रपति ने बांसवाड़ा के गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय में


जयपुर: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को कहा कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए शिक्षा सबसे सशक्त माध्यम है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि तकनीक को अपनाने में भारतीय प्रतिभा का दुनिया में कोई मुकाबला नहीं है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उपराष्ट्रपति ने बांसवाड़ा के गोविंद गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के साथ संवाद में यह बात कही।

शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए धनखड़ ने कहा कि समाज में परिवर्तन लाने के लिए शिक्षा सबसे सशक्त माध्यम है।

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उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर ने जो इतना बड़ा करिश्मा करके दिखाया उसका आधार शिक्षा ही था। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान करते हुए कहा कि विद्यार्थी शिक्षा को एक ऐसा माध्यम बनाएं, एक ऐसा सकारात्मक हथियार बनाएं कि वे स्वयं उस बदलाव का केंद्र बन सकें जो बदलाव वे देखना चाहते हैं।

सरकारी बयान के अनुसार धनखड़ ने कहा कि तकनीकी को अपनाने में भारतीय प्रतिभा का दुनिया में कोई मुकाबला नहीं है। उन्होंने इस संदर्भ में डिजिटल लेनदेन में भारत की अग्रणी स्थिति का भी जिक्र किया।

महिला आरक्षण विधेयक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय संसद ने यह विधेयक पारित करके इतिहास रच दिया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पास हो जाने से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी और यह आरक्षण सामाजिक समानता को सुनिश्चित करेगा।

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एक छात्रा के प्रश्न का उत्तर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत 'ग्लोबल साउथ' की आवाज सशक्त तरीके से उठा रहा है।

धनखड़ ने कहा कि कुछ समय पहले देश में भ्रष्टाचार का बोलबाला था। सरकारी दफ्तरों में दलालों का बोलबाला था, सत्ता के गलियारे दलालों से भरे पड़े थे जो निर्णयों को प्रभावित करते थे। उन्होंने कहा,' वह सब गायब हो गए हैं और सत्ता के गलियारों को दलालों से मुक्त कर दिया गया है।'

इससे पहले धनखड़ ने अपनी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ के साथ माता त्रिपुरा सुंदरी के ऐतिहासिक मंदिर में दर्शन और पूजा अर्चना भी की।










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