DN Exclusive: देखिये बुजुर्ग की हत्या रोक पाने में नाकाम महराजगंज पुलिस कैसे थपथपा रही है अपनी पीठ, बड़ा सवाल- कब होगी दोषी पुलिस वालों पर कार्यवाही?

डीएन ब्यूरो

महराजगंज जिले में बुधवार का दिन पुलिसिया नाकामी की वजह से गोलियों की तड़तड़ाहट के नाम रहा। हत्या होने के बाद लापरवाही छिपाने की नीयत से पुलिस अब कैसे अपनी पीठ थपथपा रही है देखिये ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट:

महराजगंज जिले  का पुरंदरपुर थाना
महराजगंज जिले का पुरंदरपुर थाना


महराजगंज: दो महीने पहले पुरंदरपुर थाना क्षेत्र के बाजारडीह गांव निवासी संदीप कुमार पुत्र दयाशंकर ने महराजगंज पुलिस को लिखित शिकायती पत्र दिया था कि कैसे कुछ लोग उनके परिवार के जान के दुश्मन बने हुए हैं। इस शिकायती पत्र में 26 नवंबर को हुए बवाल की भी जानकारी सिलसिलेवार ढ़ंग से दी गयी थी लेकिन हर बार की तरह इस बार भी महराजगंज पुलिस ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया लिहाजा मनबढ़ों के हौसले बुलंद हो गये और जमीनी विवाद में बुजुर्ग लाले साहनी पुत्र काशी को उनके ही पोते ने गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया। 

इस मामले में पुलिस ने दो अभियुक्तों को गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन उन पुलिस वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी जिन्होंने सूचना के बावजूद इस बुजुर्ग की जान का कोई मोल नहीं समझा और समय रहते अभियुक्तों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की।

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19 पुलिसकर्मियों ने मोर्चा संभाला तब पकड़ में आये दो अभियुक्त
इस सबसे बढ़कर हैरानी की बात यह है कि इन दो अभियुक्तों की गिरफ्तारी को महराजगंज पुलिस ऐसे कहानियां गढ़ मीडिया में प्रेस रिलीज जारी कर रही है जैसे मानो कोई खूंखार आतंकवादी पकड़ लिया हो। बाकायदे एक लंबा चौड़ा प्रेस रिलीज जारी कर बताया गया कि देखिये कैसे इन दो लोगों को गिरफ्तार करने के लिए 19 पुलिसकर्मियों ने मोर्चा संभाला। इनमें थानेदार से लेकर एसओजी, सर्विलांस, स्वाट और न जाने कौन कौन सी इकाईयों ने पसीना बहाया तब जाकर ये दो अभियुक्त गिरफ्तार हो पाये।

अपने कारनामों को लेकर चर्चा में रहती है महराजगंज पुलिस
वैसे भी महराजगंज पुलिस इन दिनों कहीं भी घटना होने से पहले नहीं, घटना होने के बाद पहुंच रही है और वह भी बाकायदे प्रेस रिलीज जारी करने के लिए अच्छे वाले फोटो कैमरों के साथ ताकि तस्वीर सुंदर आये। इसमें कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हो। और तो और जिले की पुलिस नेपाल सीमा पर बड़े-बड़े तस्करों को तो पकड़ नहीं पाती यदि कोई कोई किसान खेती के लिए 2-3 बोरी यूरिया ले जाते मिल जाये तो उसे गिरफ्तार कर ऐसे प्रेस रिलीज जारी की जाती है मानों कितने बड़े अंतर्राष्ट्रीय तस्कर को महराजगंज पुलिस ने गिरफ्तार कर रिकार्ड बना डाला हो। इससे भी अधिक हैरानी तब होती है जब इन 2-3 बोरी खाद ले जाने वाले गरीब किसानों की गिरफ्तारी करने में थानेदार से लेकर अनगिनत सिपाही तक मोर्चा संभाले सरकारी फोटुओं में नजर आते हैं ऊपर से तुर्रा यह कि ये गिरफ्तारी फलां-फलां बड़े साहबान के कुशन पर्यवेक्षण और निर्देशन में की गयी है।

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क्या पुलिसिया लापरवाही की भेंट चढ़ते रहेंगे लोग?
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह कि पुलिस के बड़े अफसर लाले साहनी के जान की कोई कीमत समझेंगे? क्या वे आगे से सुनिश्चित करेंगे कि फिर कोई बुजुर्ग पुलिसिया लापरवाही के कारण अपनी जान न गंवायें? 










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