DN Exclusive: सिद्दार्थनगर के स्वास्थ्य महकमे में आडियो-वीडियो ने खोली रिश्वतखोरी की पोल; CMO ने कहा- मुझे जाल में फंसाने की है कोशिश

डीएन ब्यूरो

सिद्दार्थनगर जिले के स्वास्थ्य विभाग के आला-अधिकारी इन दिनों सवालों के घेरे में हैं। एक निजी हास्पीटल के प्रबंधक के साथ महकमे के वरिष्ठ अफसरों की बातचीत के आडियो और वीडियो इन दिनों जबरदस्त तरीके से वायरल हैं। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:



सिद्दार्थनगर: क्या सिद्दार्थनगर के स्वास्थ्य महकमे में रिश्वतखोरी का बोलबाला है? क्या लाइसेंस देने के नाम पर निजी अस्पतालों से जमकर धनादोहन किया जा रहा है? ये सवाल उठ खड़े हुए हैं पन्द्रह दिन पुराने कुछ आडियो और वीडियो के चलते।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक इन दिनों जिले में सीएमओ बीएन अग्रवाल, एएच हास्पीटल के प्रबंधक रंजीत कुमार चौधरी के बीच का एक वीडियो वायरल हो रखा है। इसमें सीएमओ के कार्यालय में बातचीत हो रही है। इस वीडियो में आपत्तिजनक भाषा में CMO अग्रवाल कह रहे हैं कि मुझे रुपये देने के बाद........समझ रखा है। क्या रुपया देने के बाद हमें खरीद लिये हो? पीड़ित सीएमओ के सामने गिड़गिड़ाता व माफी मांगता नजर आ रहा है। इस घटना से जुड़ा कई वीडियो अलग-अलग टुकड़ों में सोशल मीडिया पर वायरल है। 

इसके अलावा 1 मिनट 27 सेकेंड का एक मोबाइल पर बातचीत का आडियो भी वायरल है। इसमें डिप्टी सीएमओ बीएन चतुर्वेदी और रंजीत कुमार चौधरी के बीच बातचीत हो रही है।

सीएमओ बीएन अग्रवाल का पक्ष

इस मामले में जब डाइनामाइट न्यूज़ ने सीएमओ बीएन अग्रवाल से बात की तो उन्होंने कहा कि एक निजी अस्पताल द्वारा उनको अपने जाल में फंसाने की कोशिश की गयी, उन्होंने किसी भी व्यक्ति और अस्पताल से किसी भी तरह का पैसा नहीं लिया है। जिलाधिकारी द्वारा मामले की जांच करायी जा रही है। जांच के बाद मामले का सारा सच सामने आ जायेगा। उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को नकार दिया है। 

डिप्टी सीएमओ का बयान

इस वायरल आडियो के बारे में जब डाइनामाइट न्यूज़ ने डिप्टी सीएमओ बीएन चतुर्वेदी से बात की और उनका पक्ष जाना तो उन्होंने कहा कि मैंने अभी तक आडियो-वीडियो नहीं देखा है। इसके लिए जांच टीम बन चुकी है और वे अपना पक्ष जांच टीम के सामने ही रखेंगे।

शिकायतकर्ता का पक्ष

इस बारे में शिकायतकर्ता रंजीत कुमार चौधरी ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि उसके अस्पताल का नाम अवध हाॉस्पिटल था, जो लगभग एक साल बंद रहा। वह अस्पताल का नाम बदलकर एएच हॉस्पिटल करना चाहता था, जिसके लिये उसने ऑनालइन प्रक्रिया की। सारे कागजात पूरे थे। पंजीकरण प्रक्रिया के लिए सीएमओ द्वारा उनसे 5 लाख रुपये रिश्वत की मांग की गई। उन्होंने पहले एक लाख रुपये दिये, जिसके बाद एक माह के लिए अस्पताल का पंजीकरण कर दिया गया लेकिन स्वास्थ्य विभाग से पंजीकरण करने के लिए पहले से तय पूरे पांच लाख रुपये देने को कहा गया। उन्होंने फिर 50 हजार रुपये दिये लेकिन पंजीकरण नहीं हुआ। इसके उलट एसडीएम और स्वास्थ्य विभाग की टीम जांच के लिए उनके अस्पताल पहुंची, जो हर बार बंद मिला। कागजात पूरे होने के बाद भी बार-बार पैसों की मांग करने और पंजीकरण न होने से परेशान होकर उन्होंने मामले की शिकायत की। पीड़ित पक्ष ने कहा कि उनको शासन से पूरे न्याय की उम्मीद है क्योंकि पंजीकरण या लाइसेंस के लिए उनके पास दस्तावेज उपलब्ध हैं। 

डाइनामाइट न्यूज़ इस आडियो व वीडियो के सत्यता की पुष्टि नहीं करता है लेकिन यह इन दिनों जबरदस्त सुर्खियों में है। अब जनता सारे मामले का सच जानना चाहती है। 

सवाल यह है कि सरकारी जांचों में सच का खुलासा होगा या सारे मामले को लीप-पोत कर बराबर कर दिया जायेगा?

 










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