पढ़ें चौंकाने वाली सच्ची कहानियां.. जब दाह संस्कार के बाद लौटे मृत लोग, प्रशासन के छूटे पसीने, परिवार दंग

डीएन ब्यूरो

दुनिया में वैसे तो कई तरह के चौंकाने वाले मामले सामने आते रहते है लेकिन सबसे ज्यादा हैरानी तब होती है जब दाह संस्कार होने के बाद कोई मरा व्यक्ति भला-चंगा घर लौट आता है। भारत में भी अब तक कई ऐसे चौंकाने वाले मामले सामने आ चुके हैं। पढ़ें, इसी तरह के रहस्य और रोमांच पर आधारित डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..

फाइल फोटो
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नई दिल्लीः अब चाहे इसे पुलिस प्रशासन की लापरवाही कहें या फिर कोई साजिश.. लेकिन जो कुछ हो रहा हैं वह ठीक नहीं है। आखिर मरा हुआ कोई व्यक्ति कैसे फिर से जिंदा हो सकता है? इसे पुनर्जन्म मानें तो भी कैसे? जब 'मुर्दा' खुद सफाई दे रहा हैं कि वह मरा ही नहीं। आइए जानते हैं ऐसे लोगों की कहानी, जिन्हें प्रशासन और उनके परिजनों ने न सिर्फ मरा घोषित किया बल्कि उनका दाह संस्कार और रिती- रिवाज से क्रिया-कर्म भी कर दिया। लेकिन अब वो अपने जिंदा होने की सफाई देने के लिये दर-दर के ठोकरें खाने को मजबूर हैं।

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पेश हैं.. देशभर के कुछ ऐसे लोगों की सच्ची कहानी जो मरने के बाद भी जिंदा हो गये

1. अंतिम संस्कार के बाद घर पहुंचा युवक: मामला यूपी के हापुड़ के बाबुगढ़ थाना क्षेत्र के गांव बछलौता का है। यहां शनिवार को ‘मृत घोषित’ नौजवान जब अपने अंतिम संस्कार के बाद घर पहुंचा तो उसके परिवार वाले उसे देखकर दंग रह गए। 

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एक सड़क दुर्घटना में मृत घोषित किए गए सोनू के वापस घर लौटने से पुलिस के लिए परेशानी खड़ी हो गई है। अब सवाल यह खड़ा हो रहा हैं कि आखिर सोनू के पिता मूलचंद सैनी ने किसका अंतिम संस्कार किया। स्थानीय पुलिस ने पंचनामा भरकर जो शव मूलचंद को दिया था वह किसका था? इस संदर्भ में थाना प्रभारी रविंद्र राठी का कहना है कि सोनू के परिजनों ने गुस्से में घर से गए युवक का पंचनामा भरवाया था।

मृतक का चेहरा व कद-काठी वापस आए सोनू की तरह थी। लाश की शिनाख्त में परिजनों से चूक हुई है। इसमें पुलिस की गलती नहीं है। एसपी संकल्प शर्मा का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग में मृतक युवक की शिनाख्त की कोशिश की जा रही है। पुलिस का कहना है कि परिजनों के मुताबिक सोनू भांग के नशे का आदि है। उसने 17 अगस्त शुक्रवार को नशे में अपनी मां मूर्ति देवी से मारपीट की और घर से भाग गया। वहीं दूसरी ओर दिल्ली-लखनऊ राजमार्ग पर उदय ढाबे पर तेज रफ्तार एक वाहन ने युवक को कुचल दिया। पुलिस ने जब इसकी सूचना मूलचंद को दी तो उन्होंने इसकी पहचान अपने पुत्र के रूप में की। जिसके बाद पुलिस ने आनन-फानन में मृतक का पोस्टमार्टम करवाकर इसे उसके परिजनों को सौंप दिया। 

18 अगस्त को सोनू का अंतिम संस्कार कर दिया गया। लेकिन वह रक्षाबंधन से पूर्व 25 अगस्त की रात को जब घर पहुंचा तो घरवालों के होश उड़ गए। वहीं अब मामले में पुलिस के लिए मुसीबत यह हो गई है कि आखिर उसके परिवारवालों ने जिसका संस्कार किया वह युवक कौन था। 

 

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2. रायपुर में मुर्दा बोला साहब जिंदा हूं मैं: मामला छत्तीसगढ़ के रायगढ़ का है, यहां एक जिंदा शख्स को मरा बताकर उसके परिवार का राशन रोकने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बता दें कि सारगंढ़ की ग्राम पंचायत डोमाडीह के पास गांव पिंकरी निवासी ननकी पिता फिरंगी को छत्तीसगढ़ खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2004 और छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण अधिनियम 2012 के तहत गुलाबी राशन कार्ड क्रमांक 41020302250141 प्रदान किया गया था। इस राशन कार्ड से परिवार को तब से लगातार राशन मिल रहा था। लेकिन मामले में तब नया मोड़ आया जब इसी साल यानी 5 जुलाई 2018 को परिवार के मुखिया ननकी को दस्तावेजों में मरा बताकर उसका राशन कार्ड निरस्त कर दिया गया। ग्राम पंचायत खजरी से उसके परिवार को राशन की सप्लाई बंद कर दी गयी। एसडीएम से की गई शिकायत में ननकी ने कहा कि वह गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा है। राशन डिपो से मिलने वाले अनाज से ही उसके परिवार का भरण- पोषण होता है। वहीं इस मामले में सारंगढ़ (रायगढ़) के एसडीएम हितेश बघेल का कहना है कि संबंधित ग्रामीण कि शिकायत उन्हें मिल चुकी है। राशन कार्ड से कैसे उनका नाम काटा गया और कहां गलती हुई है इसकी जांच करने के लिए एएफओ को नर्देश दिए गए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई होगी। 

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3.  मतृ घोषित बुजुर्ग बोला पिटाई करके देख लीजिए जिंदा हैं हमः मामला मिर्जापुर के विकास खंड राजगढ़ के खुटारी गांव का है। गांव में रहने वाला मनधारी पुत्र बंजार 60 वर्ष, खेलाड़ी पुत्र भुलई (72) व लालू पुत्र नान्हू (85) ने शिकायत दर्ज कराई हैं कि करीब एक दशक पहले उन्हें राज्य सरकार की तरफ से वृद्धावस्था पेंशन मिल रही थी। 2016-17 में स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण उन्हें मृत दिखाकर इसकी रिपोर्ट समाज कल्याण कार्यालय में भेज दी गई। इस रिपोर्ट की वजह से पिछले एक साल से लाभर्थियों को बैंक से पेंशन आनी बंद हो गई है। जब वह इसका कारण जानने के लिए समाज कल्याण कार्यालय पहुंचे तो पता चला कि वहां मौजूद दस्तावेजों में उन्हें मृत घोषित किया गया है। मामला सामने आने के बाद मुख्य विकास अधिकारी ने इस पर गंभीरता दिखाई और इसके जांच के आदेश दिए। 










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